"जनम मरन सब दु:ख सुख भोगा। हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥ काल करम बस होहिं गोसाईं। बरबस राति दिवस की नाईं॥"
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि जिसका जन्म हुआ है उसका अंत होना निश्चित है। लेकिन, अंत के बाद एक नई यात्रा का आरंभ होता है। जीवन मरण के इसी चक्र को दर्शाता है बनारस का मणिकर्णिका घाट। कहते हैं यहां जिसका दाह संस्कार किया जाता है वह जीवन मरण के चक्र सेमुक्ति पा जाता है। मणिकर्णिका घाट अपने अंदर कई रहस्य छिपाए हुए है। उसी में से एक है 94 अंक का रहस्य। दरअसल, मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार होने के बाद जब राख ठंडी होने लगती है तो वहां 94 अंक लिख दिया जाता है। आखिर इस 94 अंक को चिता पर लिखने का क्या रहस्य है आइए जानते हैं।
मणिकर्णिका घाट और 94 अंक का रहस्य
ऐसी मान्यता है कि जब मणिकर्णिका घाट पर किसी की अंतिम संस्कार कर दिया जाता है तो जब उसकी राख ठंडी होने लगती है उस समय राख पर 94 अंक लिख दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति के कुल 100 गुण होते हैं लेकिन, उसकी मृत्यु के बाद उसकी अगली यात्रा पर सिर्फ 6 गुण ही उसके साथ जाते हैं। 1 गुण मन का होता है और बाकी 5 ज्ञानेंद्रियों के होते हैं। बता दें कि 94 प्रकार के अच्छे और बुरे यह मनुष्य के हाथ में होते हैं और बाकी 6 प्रकार के गुण ब्रह्मा जी के हाथ में होते हैं। इसलिए अंतिम संस्कार के दौरान 94 लिखा जाता है कि ताकि वह मनुष्य अपने 94 प्रकार के कर्म से मुक्ति पा सके और उसे मुक्ति का मार्ग मिल सके और वह किसी भूत प्रेत की योनि में न फंस जाए।