मध्यप्रदेश के पात्र हितग्राहियों को अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत पहले से अधिक मात्रा में गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। वर्षों से चली आ रही इस मांग को आखिरकार केंद्र सरकार ने मान लिया है। अब प्रदेश में राशन के रूप में 75 प्रतिशत गेहूं और 25 प्रतिशत चावल वितरित किया जाएगा, जबकि पूर्व में यह अनुपात 60:40 था। यह निर्णय प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सक्रिय पहल और प्रयासों के फलस्वरूप लिया गया है। हाल ही में उन्होंने नई दिल्ली में केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से भेंट कर इस विषय पर गंभीरता से चर्चा की थी।
राजपूत ने केंद्र सरकार को यह तथ्यात्मक जानकारी दी थी कि मध्यप्रदेश में गेहूं का उत्पादन अधिक होता है और अधिकांश उपभोक्ता चावल की अपेक्षा गेहूं को प्राथमिकता देते हैं। इसके बावजूद पूर्ववर्ती वितरण अनुपात प्रदेश की व्यवहारिक आवश्यकताओं से मेल नहीं खाता था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अधिक मात्रा में चावल मिलने से उसका दुरुपयोग या सस्ते दामों में बाजार में बिकने की संभावना बनी रहती है, जबकि यदि उपभोक्ताओं को उनकी पसंद और आवश्यकता के अनुसार गेहूं उपलब्ध कराया जाए, तो यह व्यवस्था अधिक प्रभावी और पारदर्शी बन सकती है।
राज्य सरकार ने इस निर्णय को नीतिगत बदलाव की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है। यह सिर्फ खाद्यान्न के वितरण अनुपात में परिवर्तन नहीं है, बल्कि जनभावनाओं को समझते हुए उसे नीति में रूपांतरित करने का एक सशक्त उदाहरण भी है।
मंत्री राजपूत ने इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार जनहित से जुड़े निर्णयों को शीघ्रता से लागू करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव पीडीएस की उपयोगिता और स्वीकार्यता को और अधिक बढ़ाएगा तथा गरीब तबके को बड़ी राहत प्रदान करेगा। इसके साथ ही पीडीएस प्रणाली को और पारदर्शी व तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए आधार प्रमाणीकरण, ई-केवाईसी और डिजिटल ट्रैकिंग जैसी सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
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