गुजरात दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान पर हमला जारी रखा और कहा कि 75 साल तक भारत ने प्रॉक्सी वॉर को बर्दाश्त किया है, लेकिन अब और नहीं। पीएम मोदी ने मंगलवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में गुजरात के शहरी विकास की 20वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लेते हुए यह बात कही। यह राज्य में दो दशकों के संरचित और टिकाऊ शहरी परिवर्तन का प्रतीक है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने 5,536 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें आवास, स्वास्थ्य, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा पहल शामिल हैं, जिनका उद्देश्य राज्य की भविष्य की तैयारी को बढ़ावा देना है।
पीएम मोदी ने शहरी विकास वर्ष 2025 की घोषणा की
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शहरी विकास वर्ष 2005 के अपने शुभारंभ को याद करते हुए पीएम मोदी ने औपचारिक रूप से शहरी विकास वर्ष 2025 की घोषणा की, जो शहरी परिवर्तन पहल का एक नया चरण है। इस योजना का उद्देश्य पूरे गुजरात में शहरी बुनियादी ढांचे, टिकाऊ जीवन और नागरिक सुविधाओं को और मजबूत करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कही ये बातें
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत “भारत माता की जय” के नारों से की और गुजरात में अपने हालिया दौरे पर बात की। उन्होंने कहा, “कल मैं वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद में था और आज गांधीनगर में। मैं हर जगह देशभक्ति का जोश महसूस कर सकता था- हर हाथ में तिरंगा था और हर दिल राष्ट्रवाद से भरा हुआ था। यह नजारा सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अविस्मरणीय था।”
अपने भाषण के एक महत्वपूर्ण और भावनात्मक हिस्से में, प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को लेकर कहा, “1947 में जब मां भारती का बंटवारा हुआ था, तो औपनिवेशिक शासन की जंजीरें टूट जानी चाहिए थीं, लेकिन इसके बजाय देश तीन हिस्सों में बंट गया। उसी रात कश्मीर में पहला आतंकी हमला शुरू हुआ। हमारे देश का एक हिस्सा- पीओके- आतंकवाद की आड़ में छीन लिया गया। सरदार पटेल चाहते थे कि सेना तब तक न रुके जब तक पीओके वापस न ले लिया जाए। लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।”
आतंकवाद के प्रति दशकों की सहिष्णुता पर की तीखी आलोचना
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के प्रति दशकों की सहिष्णुता की तीखी आलोचना करते हुए कहा: “75 वर्षों तक हमने प्रॉक्सी वॉर को सहन किया। पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, नागरिकों- जहां भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने हमला किया। मुझे बताइए, क्या हमें इसे सहन करते रहना चाहिए? ‘गोली का जवाब गोले से देना चाहिए’ (या हमें गोलियों का जवाब बम से देना चाहिए)?”
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