क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान में उड़ने वाली छोटी-सी मशीनें युद्ध के मैदान को कैसे बदल सकती हैं? हम बात कर रहे हैं ड्रोन की, जो आज के युद्धों का सबसे खतरनाक और चतुर हथियार बन चुके हैं। ये तेज, चुपके से हमला करने वाले, सटीक और सस्ते हथियार हैं, जो बिना किसी पायलट की जान जोखिम में डाले दुश्मन को धूल चटा सकते हैं। साल 2020 के बाद से दुनिया के 80% ड्रोन व्यापार ने रफ्तार पकड़ी है, और ये भारत-पाकिस्तान से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध तक हर जगह छाए हुए हैं।
युद्ध का परफेक्ट हथियार बनते जा रहे ड्रोन
ड्रोन को युद्ध का 'सुपरस्टार' कहें तो गलत नहीं होगा। ये तेजी से तैनात हो जाते हैं, इन्हें पकड़ना मुश्किल है, और ये सटीक निशाना लगाते हैं। सबसे बड़ी बात? इनसे कोई सैनिक या पायलट की जान खतरे में नहीं पड़ती। भारत-पाकिस्तान के तनाव में ड्रोन ने सैन्य रणनीति का केंद्र बिंदु बनकर दिखाया। रूस-यूक्रेन युद्ध में भी ड्रोन ने गेम-चेंजर की भूमिका निभाई। जैसे प्रथम विश्व युद्ध में खंदकें मशहूर थीं, वैसे ही ड्रोन 21वीं सदी के युद्धों की पहचान बन चुके हैं।
100 साल पुरानी है ड्रोन की कहानी
ड्रोन की कहानी कोई नई नहीं है। इसकी शुरुआत 100 साल पहले हो चुकी थी। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन और अमेरिका ने बिना पायलट के विमान बनाने की कोशिश की। ब्रिटेन का 'एरियल टारगेट' और अमेरिका का 'केटरिंग बग' इसके पहले प्रयोग थे। हालांकि, ये युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुए, लेकिन इन्होंने रिमोट-कंट्रोल उड़ान का रास्ता दिखाया। 1935 में ब्रिटेन ने 'क्वीन बी' नाम का रिमोट-कंट्रोल ड्रोन बनाया, जिससे 'ड्रोन' शब्द की शुरुआत हुई।
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