सरकार 800 MW की बुरसर पनबिजली परियोजना, 260 MW की दुल्हस्ती II, स्वालकोट 1856 MW HEP, उरी स्टेज II- 240 MW और किर्थई II- 930 MW परियोजनाओं पर आगे बढ़ने की सोच रही है। ये पांच परियोजनाएं अगले 3-5 सालों में पूरी हो सकती हैं। सरकार ने हाल ही में पहलगाम हमले के बाद हुई बैठकों में इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का फैसला किया है। ये परियोजनाएं IWT से अलग होने की भारत की योजना का भी हिस्सा हैं। उरी-II को छोड़कर, बाकी सभी परियोजनाओं को IWT से मंजूरी मिलना बाकी है।
कश्मीर बनेगा देश का पावर हाउस
सिंधु जल समझौता को स्थगित करने से भले ही भारत को तत्काल फायदा न मिले लेकिन भारत इस पानी का यूज करके ऐसा ढांचा तैयार करेगा कि पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरसेगा। वहीं पंजाब समेत कई राज्यों में जल संकट खत्म होगा। जम्मू-कश्मीर देश का पावर हाउस बनेगा। 1960 में हुए सिंधु जल समझौते में तय हुआ था कि भारत रावी, ब्यास और सतलुज नदी के पानी का उपयोग करेगा और पाकिस्तान सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के पानी का।
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