रूस में भारत के कावेरी जेट इंजन का परीक्षण किया जा रहा है। ये इंजन लंबी दूरी के मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन में लगेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की टीम रूस में कावेरी इंजन का परीक्षण कर रही है। इस इंजन को बनाने की शुरुआत लड़ाकू विमान तेजस को ध्यान में रखकर की गई थी लेकिन अब ये मेड इन इंडिया ड्रोन में इस्तेमाल होगा। DRDO ने कावेरी की खासियतों की वजह से इसे पांचवीं पीढ़ी का इंजन कहा है। रूस में कावेरी का टेस्ट सफल रहता है तो भारत के ड्रोन और रक्षा उद्योग को बड़ा उछाल मिलने की उम्मीद है। इससे पाकिस्तान की चिंता भी बढ़ेगी, जिसे तुर्की से लगातार आधुनिक ड्रोन मिल रहे हैं।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कावेरी एक लो-बाईपास, ट्विन-स्पूल टर्बोफैन इंजन है। इसे डीआरडीओ के तहत गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट द्वारा बनाया गया है। कावेरी इंजन में 80 किलो न्यूटन (kN) का थ्रस्ट है। पर्याप्त मैनुअल बैकअप के साथ ट्विन लेन फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल कावेरी की सबसे खास डिजाइन विशेषता है। डीआरडीओ के अनुसार, कावेरी इंजन परियोजना 1980 के दशक में शुरू हुई थी।
तेजस में नहीं हो सका इस्तेमाल
कावेरी इंजन का उपयोग भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के लिए नहीं किया जा सका। इसकी वजह इंजन का जरूरी थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात तक पहुंचने में असमर्थ रहना था। इसके उच्च तापमान धातुकर्म और आफ्टरबर्नर प्रदर्शन में भी समस्याएं मिलीं। तेजस एमके1 को शक्ति देने में कावेरी के फेल होने के बाद भारत को लड़ाकू जेट के लिए अमेरिकी निर्मित जीई एफ404 इंजन की तरफ जाना पड़ा।
टेस्ट के नतीजों से होगा फैसला
भारत की प्रमुख रक्षा अनुसंधान एजेंसी रूस में कावेरी इंजन का परीक्षण कर रही है। ये परीक्षण वास्तविक उड़ान की स्थिति में इंजन के प्रदर्शन को साबित करेंगे। इसमें इंजन की विश्वसनीयता, सहनशक्ति और विमान प्रणालियों के साथ एकीकरण शामिल है। कावेरी इंजन एलसीए को शक्ति देगा या नहीं, इसमें एलसीए विमान को शक्ति देने के लिए इसकी क्षमताओं को देखने के लिए टेस्ट होगा।
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