सिंधु जल संधि के तहत जम्मू-कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तटस्थ विशेषज्ञों के साथ रविवार शाम यहां पहुंचा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। साल 1960 की संधि के विवाद निपटान तंत्र के तहत पांच साल से अधिक समय में किसी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की यह पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा है। भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की बातचीत के बाद सिंधु जल संधि (IWT) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता के रूप में शामिल हुआ था।
यह संधि सीमा के दोनों ओर की नदियों के पानी के उपयोग पर समन्वय एवं सूचनाओं के आदान प्रदान का प्रावधान करती है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इससे पहले जनवरी 2019 में तीन सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने आखिरी बार IWT के प्रावधानों के तहत पाकल दुल और लोअर कलनाई जलविद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल केंद्र शासित प्रदेश में अपने प्रवास के दौरान चिनाब घाटी में किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करेगा। पाकिस्तान ने 2016 में विश्व बैंक से दो जलविद्युत परियोजनाओं के बनावट की विशेषताओं पर अपनी आपत्तियों के संबंध में प्रारंभिक अनुरोध किया था, जिसमें 'तटस्थ विशेषज्ञ' के माध्यम से समाधान की मांग की गई थी। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने इस अनुरोध को वापस ले लिया और मध्यस्थता अदालत से इसपर निर्णय लेने की मांग की।
सिंधु जल संधि के तहत जम्मू-कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तटस्थ विशेषज्ञों के साथ रविवार शाम यहां पहुंचा।
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