दिल्ली के बुराड़ी में 10 जुलाई से 3 एकड़ में एक मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है जो केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर होगा। तीन साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. जिसका भूमिपूजन खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया है और इसके बाद से ही उत्तराखंड में साधु संतों के साथ ही जगह जगह स्थानीय धरने पर बैठ गए और अब केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट बुराड़ी ने प्रतीकात्मक मंदिर का नाम बदलने का फैसला लिया है।
दिल्ली केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट ने बदला अपना फैसला
बढ़ते विरोध और सरकार के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में केदारनाथ का मंदिर बनाने वाली संस्था ने अपना फैसला बदलने का एलान कर दिया है। हालांकि ट्रस्ट अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने पहले कहा था कि दिल्ली में बनने वाला केदारनाथ मंदिर एक मंदिर है, धाम नहीं है. इसका उत्तराखंड सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन अब भारी विरोध के बाद मंदिर का नाम बदल दिया जाएगा।
कैसे और क्यों शुरू हुआ विवाद
दरअसल दिल्ली के बुराड़ी में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम का मॉडल या कहे प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है। 10 जुलाई को शिलान्यास के बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट बुराड़ी की ओर से इस मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। जिसकी नींव खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रखी है और इस के बाद से ही देवभूमि में इसके विरोध में आवाज उठने लगी। देवभूमि के साधु संतों और केदारनाथ धाम के पुरोहितों ने जमकर इसका विरोध किया। केदारनाथ धाम से लेकर पूरी केदार घाटी में इसे लेकर नाराजगी देखी गई।
उनका कहना है कि केदारनाथ धाम से करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है, ऐसे में बाबा केदारनाथ का मंदिर कहीं और बनाना यह तीर्थ की मर्यादा के खिलाफ है, साथ ही धामों के प्रति लोगों की आस्था पर प्रहार भी है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी दिल्ली में बन रहे इस मंदिर का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि केदार हिमालय में हैं तो आप दिल्ली में कैसे बना सकते हैं. जब पता सबको मालूम है तो उसे क्यों बदलना चाहते हैं. लोगों को क्यों भ्रमित किया जा रहा है.
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी जताया विरोध
दिल्ली में केदारनाथ धाम की तरह प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर बनाने को लेकर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रतीकात्मक केदारनाथ नहीं हो सकता। केदारनाथ हिमालय में है और दिल्ली में नहीं हो सकता I इस बीच उन्होंने केदारनाथ में सोना घोटाले का मुद्दा भी उठाया और कहा कि वहां घोटाला करने के बाद अब दिल्ली में केदारनाथ बनेगा? और फिर एक और घोटाला होगा. केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब है... कोई जांच शुरू नहीं हुई है।
सरकार और BKTS को भी देना पड़ी थी सफाई
इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए कहा था कि बाबा केदार का धाम दुनिया में और कहीं नहीं बन सकता। उन्होंने बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष को जरूरी दिशा निर्देश भी दिए हैं। इसके बाद श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का भी बयान सामने आया।उन्होंने कहा कि दिल्ली में बनने वाले मंदिर से न तो मंदिर समिति का कोई लेना-देना है और न ही सरकार का। कांग्रेस के नेता अनावश्यक मामले को तूल दे रहे हैं। यदि संबंधित संस्था केदारनाथ धाम के नाम का दुरूपयोग करती है या इसके नाम पर चंदा लेती है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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