ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में या उसके आसपास सेल्स का इक्कठा होना होता है। यानी यह ब्रेन के टिश्यू में या उसके पास भी हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में शुरू हो सकता है और इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। कई बार शरीर के दूसरे हिस्से से कैंसर ब्रेन में फैल जाता है। यह सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर होते हैं।
इसे मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर भी कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकता है, लेकिन यह उसके बढ़ने की स्पीड और जगह पर निर्भर करता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं जैसे कुछ कैंसरस होते हैं और कुछ नॉन कैंसरस होते हैं ।
ब्रेन ट्यूमर के कारण
ब्रेन ट्यूमर तब होता है, जब ब्रेन में या उसके आसपास की कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव होता है। कोशिका के डीएनए उन्हें बताते हैं कि क्या करना है। यह परिवर्तन कोशिकाओं को तेजी से बढ़ने और जीवित रहने के निर्देश देते हैं, जबकि स्वस्थ कोशिकाएं अपने प्राकृतिक जीवन चक्र के हिस्से के रूप में खत्म हो जाती हैं। इससे ब्रेन में बहुत सारी अतिरिक्त कोशिकाएं बन जाती हैं।ब्रेन ट्यूमर होने के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक
बढ़ती आयु: उम्र के साथ ब्रेन ट्यूमर का भी खतरा बढ़ जाता है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन वृद्ध लोगों में यह सबसे आम है। कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर सिर्फ बच्चों को ही होते हैं।
रेडिएशन के साइड इफेक्ट: जिन लोगों का आयोनिजिंग रेडिएशन हुआ है उन लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर की फैमिली हिस्ट्री: यदि व्यक्ति के परिवार में पहले किसी को ब्रेन ट्यूमर हुआ हो तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
एचआईवी होना: किसी को एचआईवी या एड्स हुआ है तो उसे ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है।
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