अनिद्रा या नींद की कमी आजकल बहुत आम हो गई है, और यह समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, फिर भी यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है।
अनिद्रा या नींद की कमी आजकल बहुत आम हो गई है, और यह समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, फिर भी यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि महिलाओं में अनिद्रा की दर 58 प्रतिशत अधिक होती है। महिलाओं में नींद की गुणवत्ता और नींद की समस्या का सीधा संबंध उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है।
महिलाओं में नींद की समस्या का प्रमुख कारण
हर व्यक्ति को कभी न कभी नींद की समस्या होती है, लेकिन यह समस्या महिलाओं के लिए अधिक गंभीर बन जाती है। मुख्य कारणों में तनाव, बढ़ते हुए काम का बोझ, कैफीन का अधिक सेवन, देर रात तक काम करना, और जीवनशैली की गलत आदतें शामिल हैं। खासकर कार्य और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण महिलाएं रात को देर तक जागने और काम करने की आदत बना लेती हैं, जिससे उनकी नींद प्रभावित होती है।
हार्मोनल उतार-चढ़ाव का असर
महिलाओं में हार्मोनल बदलावों का नींद पर बहुत असर पड़ता है। पीरियड के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव होते हैं, जिससे महिलाओं की नींद पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जब इन हार्मोन का स्तर कम या अधिक होता है, तो महिलाओं को अधिक थकावट महसूस होती है, साथ ही उनकी नींद की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इ
मानसिक स्वास्थ्य और नींद
महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी नींद पर असर डाल सकती हैं। मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन महिलाओं में अक्सर पाए जाते हैं, जो उनकी नींद की समस्या को बढ़ा सकते हैं। तनाव और चिंता के कारण महिला का मन शांत नहीं होता, जिससे नींद नहीं आती। मानसिक समस्याओं के कारण अनिद्रा की समस्या और बढ़ जाती है, जिससे नींद का चक्र टूट जाता है।
सोने की गलत आदतें और जीवनशैली
बहुत सी महिलाएं रात में देर तक स्क्रीन के सामने बैठकर मोबाइल या टीवी का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी नींद का पैटर्न प्रभावित होता है। नीली रोशनी का प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है और मेलाटोनिन नामक नींद के हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। इस कारण रात को नींद में दिक्कत होती है।
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