नेल्सन मंडेला ये उस शख्सियत का नाम हैं जिसे किसी तरह के परिचय की जरूरत नहीं है। उनकी छवि दुनियाभर में एक शांतिदूत की तरह है। जिस तरह भारत में महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई लंबे समय तक अहिंसा के साथ लड़ी और कई बार जेल भी गए, लेकिन देश के आजाद होने तक हार नहीं मानी, उसी तरह नेल्सन मंडेला ने भी दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा की राह पर चलकर उन्होंने रंगभेद के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी।
इस बीच उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला, 27 साल जेल में काटने पड़े, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. आखिरकार उसी देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। हर साल 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला की जयंती होती है I इस दिन को दुनिया में अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
मंडेला के जीवन की शुरुआत
18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका में जन्मे नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला था। कम उम्र में ही इनके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद इनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण बीता। 1944 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया। इसी साल उन्होंने अपने सहयोगियों और मित्रों के साथ मिलकर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की।
जेल में बीते 27 साल
1947 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग के सचिव चुने गए। साल 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। हालांकि इसमें वो निर्दोष साबित हुए। लेकिन इसके बाद 1962 में उन पर मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप लगा और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। साल 1964 में नेल्सन मंडेला को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए I साल 1990 में उनकी जेल से रिहाई हुई।
कैसे मिली दुनियाभर में पहचान
जिस दौरान मंडेला जेल में थे, उन्होंने तब गुप्त रूप से अपनी जीवनी लिखी जिसे बाद में एक पुस्तक के तौर पर प्रकाशित किया गया जिसका नाम 'लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम' है. जब नेल्सन मंडेला जेल से रिहा हुए, तब पूरे देश में जश्न का माहौल था। नेल्सन मंडेला की छवि लोगों के बीच एक 'हीरो' की तरह हो चुकी थी I रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी ।1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए I इन चुनावों में मंडेला को जनता का भरपूर समर्थन मिला और बहुमत के साथ उनकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
नेल्सन मंडेला के नाम कई उपलब्धियां
अहिंसा की राह पर चलकर रंगभेद के खिलाफ नेल्सन मंडेला ने जो भी लड़ाई की, उसके बाद उनकी छवि पूरी दुनिया में एक शांति दूत के तौर पर बन गई। कई देश उनसे आकर्षित हुए । साल 1990 में भारत सरकार ने मंडेला को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया । वहीं 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया I नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने 18 जुलाई को आधिकारिक रूप से नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे मनाने की घोषणा की। इसके बाद पहला नेल्सन मंडेला दिवस साल 2010 में मनाया गया ।
नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस को आधिकारिक तौर पर नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया था ।पहला आधिकारिक उत्सव 18 जुलाई, 2010 को मंडेला के 92वें जन्मदिन पर मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सामुदायिक सेवा, सामाजिक न्याय और गरीबी के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को मान्यता दी।
यह दिन लोगों से उनकी विरासत को याद करने और ‘सेवा के 67 मिनट’ के नारे के साथ मानवता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान करता है। मंडेला की विरासत, मानवाधिकारों, सुलह और लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की विशेषता है, जो दुनिया भर के लोगों को कार्रवाई करने और बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती है ।
नेल्सन मंडेला दिवस 2024 की थीम
नेल्सन मंडेला दिवस 2024 की थीम है “गरीबी और असमानता का मुकाबला करना अभी भी हमारे हाथ में है.” यह थीम सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के खिलाफ चल रहे संघर्ष पर प्रकाश डालती है, व्यक्तियों और समुदायों को इन मुद्दों को सक्रिय रूप से संबोधित करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
गरीबी और असमानता पर ध्यान केंद्रित करना आज विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां आर्थिक असमानताएं और सामाजिक अन्याय व्याप्त हैं. नेल्सन मंडेला दिवस 2024 की थीम मंडेला के इस विश्वास को दर्शाती है कि हर किसी में सकारात्मक प्रभाव डालने की शक्ति है।
Written by Chanda Carpenter
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