भारतीय नौसेना के बेड़े में एक स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्धपोत के शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर नौसेना की समुद्री क्षमताओं में वृद्धि होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि ' आन्द्रोत ' उथले जल में संचालित आठ पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों में से दूसरा युद्धपोत है, जिसका निर्माण कोलकाता के 'गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स' द्वारा किया गया है।
इन अभियानों में मिलेगा लाभ
भारतीय नौसेना ने सोमवार को यहां नौसेना की गोदी में एक औपचारिक कार्यक्रम के दौरान दूसरे पनडुब्बी रोधी युद्धक, उथले पानी के जलपोत 'अन्द्रोथ' को अपने बेड़े में शामिल किया। नौसेना के अनुसार, 'अन्द्रोथ' के शामिल होने से उसकी पनडुब्बी रोधी युद्धक (एएसडब्ल्यू) क्षमताएं बढ़ जाएंगी, जिसका लाभ मुख्य रूप से तटीय और उथले पानी में होने वाले अभियानों को मिलेगा।
स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने की। इस दौरान वरिष्ठ नौसेना अधिकारी और शिपयार्ड के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
कहां से लिया गया नाम
'आन्द्रोत' नाम का रणनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि यह लक्षद्वीप द्वीपसमूह के 'आन्द्रोत' द्वीप से लिया गया है, जो भारत की अपने विशाल समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
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