मां का स्वरुप
मां दुर्गा अपने छठवें स्वरूप में सिंह पर विराजमान हैं। उनका ये स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं, इनमें से दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है। वहीं नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। जबकि, बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प है।पूजा विधि
चौकी पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मां कात्यायनी की मूर्ति रखें।
अब गंगाजल से पूजा घर और घर के बाकी स्थानों को पवित्र करें।
अपने हाथ में एक फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें।
उसके बाद पूजा में गंगाजल, कलावा, नारियल, कलश, चावल, रोली, चुन्नी, अगरबत्ती, शहद, धूप, दीप और घी का प्रयोग करें।
मां को लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें।
माता को उनका प्रिय भोग जरूर लगाएं।
देवी कात्यायनी की पूजा करते समय मंत्र का जप करें।
इसके बाद उनके समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर आरती करें।
इस मंत्र का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥
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