ज्येष्ठ मास में कुल पांच बड़े मंगल होंगे, जिनमें पहला 13 मई यानी आज और अंतिम 10 जून को पड़ेगा। इस अवसर पर भक्तजन हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं और कुछ खास नियमों का पालन करते हैं।
आज 13 मई को पहला बड़ा मंगल है। इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को मनाया जाता है और विशेष रूप से भगवान हनुमान के वृद्ध रूप की पूजा की जाती है। वर्ष 2025 में ज्येष्ठ मास में कुल पांच बड़े मंगल होंगे, जिनमें पहला 13 मई यानी आज और अंतिम 10 जून को पड़ेगा। इस अवसर पर भक्तजन हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं और कुछ खास नियमों का पालन करते हैं। बड़े मंगल के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके साथ-साथ इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी लोगों में गहरी आस्था का विषय हैं।
बड़ा मंगल क्यों मनाया जाता है?
बड़ा मंगल मनाने की परंपरा के पीछे एक ऐतिहासिक कथा जुड़ी है, जो लखनऊ से संबंधित है। कहा जाता है कि अवध के नवाब वाजिद अली शाह का बेटा लंबे समय से बीमार था। तमाम इलाज करवाने के बाद भी जब सुधार नहीं हुआ, तो किसी ने नवाब और उनकी बेगम को अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगने की सलाह दी। नवाब दंपति ने इस पर विश्वास कर हनुमान जी से प्रार्थना की। कुछ ही समय में उनके बेटे की तबीयत में सुधार आने लगा। इस चमत्कार से प्रभावित होकर नवाब ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़े भंडारे का आयोजन करवाया। तभी से लखनऊ में बड़े मंगल को विशेष भक्ति और सेवा के साथ मनाया जाता है।
बड़ा मंगल से जुडी पौराणिक कथा
बड़े मंगल से जुड़ी कई धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं।एक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास के मंगलवार को ही भगवान श्री राम और हनुमान जी का प्रथम मिलन हुआ था, जो धर्म और भक्ति के महान संबंध की शुरुआत मानी जाती है। एक अन्य कथा महाभारत काल से जुड़ी है, जिसमें कहा जाता है कि ज्येष्ठ मास के एक मंगलवार को हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था। यह कथा द्वापर युग की है, जब पांडव वनवास में थे। एक दिन द्रौपदी के लिए गंधमादन पर्वत से सुगंधित फूल लाने के उद्देश्य से भीम वहां पहुंचे। रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर (हनुमान जी) विश्राम करते मिले, जिनकी पूंछ रास्ते में थी। भीम ने घमंड में आकर पूंछ हटाने को कहा, लेकिन वानर ने स्वयं हटाने से इनकार कर दिया और कहा कि तुम ही हटा लो। भीम ने पूरी ताकत लगाई, पर पूंछ हिला भी नहीं पाए। तब वानर रूपी हनुमान जी ने अपनी पूंछ से भीम को पटक दिया। इस घटना से भीम का घमंड चूर हो गया।
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