वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन माता सीता के जन्म का प्रतीक है और इस दिन देवी की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है।
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन माता सीता के जन्म का प्रतीक है और इस दिन देवी की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। इस साल सीता नवमी 5 मई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं का दान करने से माता सीता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देती हैं।
सीता नवमी पर दान की जाने वाली विशेष वस्तुएं
अन्न और वस्त्र
सीता नवमी के दिन जरूरतमंदों को अन्न का दान करना फलदायी माना जाता है। आप चावल, गेहूं, दाल, आटा, और अन्य अनाज का दान कर सकते हैं। इसके अलावा, नए या साफ वस्त्रों का दान करना भी शुभ माना जाता है, खासतौर से महिलाओं को वस्त्र दान करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
फल और मिठाई
इस दिन मौसमी फलों जैसे आम, खरबूजा, तरबूज और पेड़ा, बर्फी, या खीर आदि का दान कर सकते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आती है।
शृंगार की सामग्री
सुहागिन महिलाओं के लिए सीता नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन शृंगार सामग्री जैसे कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी और वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं। इससे माता सीता की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
मिट्टी के बर्तन और जल
गर्मी के मौसम में जल का दान करना विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। सीता नवमी के दिन प्यासे लोगों को पानी पिलाना या मिट्टी के बर्तन जैसे घड़े आदि का दान करना उत्तम माना जाता है। इससे शीतलता और शांति की प्राप्ति होती है।
गुड़ और चना
कुछ क्षेत्रों में सीता नवमी के दिन गुड़ और चने का दान करने की भी परंपरा है। यह दान स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
सीता नवमी पर दान के लाभ
सीता नवमी पर दान करने से माता सीता की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को मनचाहा वरदान मिलता है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन दान करने से पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आती है और स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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