हर घर में एक स्थान ऐसा होना चाहिए जहाँ शांति, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा का वास हो। यही स्थान होता है — पूजा घर। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा घर कहां और कैसे होना चाहिए ताकि उसमें भगवान की उपस्थिति के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा भी सदा बनी रहे?
हर घर में एक स्थान ऐसा होना चाहिए जहाँ शांति, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा का वास हो। यही स्थान होता है — पूजा घर। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा घर कहां और कैसे होना चाहिए ताकि उसमें भगवान की उपस्थिति के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा भी सदा बनी रहे? वास्तु और ज्योतिष दोनों ही इस विषय में बेहद स्पष्ट और उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
पूजा घर की आदर्श दिशा — ईशान कोण
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, में बनाना सबसे शुभ होता है। यह दिशा सूर्य के उदय से जुड़ी होती है और देवताओं का वास माना जाता है।
यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह की दृष्टि से भी श्रेष्ठ मानी जाती है। यदि ईशान कोण उपलब्ध न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा भी उपयुक्त विकल्प हो सकती है।
मंदिर का मुख और स्थान
मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे पूजा करते समय व्यक्ति का चेहरा पूर्व की तरफ रहेगा, जो शुभ फल प्रदान करता है।
बेडरूम या बाथरूम के पास मंदिर नहीं बनाना चाहिए। इससे ऊर्जा प्रभावित होती है और यह अनुचित माना जाता है।
मंदिर को ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर रखें, और इसके नीचे स्टोर या टॉयलेट न हो।
पूजा करते समय दिशा का महत्व
अक्सर लोग इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि पूजा करते समय किस दिशा में मुंह करना चाहिए।
सामान्यत: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करना श्रेष्ठ होता है।
लेकिन गहराई से देखें तो जन्म कुंडली के अनुसार व्यक्ति की शुभ दिशा भी भिन्न हो सकती है।
इसके लिए अष्टकवर्ग ज्योतिष सिद्धांत के आधार पर विशेष गणना की जाती है, जो यह दर्शाती है कि किस जातक को किस दिशा में बैठकर पूजा करनी चाहिए ताकि उसे अधिकतम आध्यात्मिक लाभ मिले।
कुछ अतिरिक्त सुझाव
पूजा घर में साफ-सफाई और सात्विकता बनाए रखें।
दीपक, धूपबत्ती, गंगाजल, शुद्ध जल — इनका नियमित प्रयोग करें।
मूर्तियाँ अधिक बड़ी न हों और एक से अधिक रूपों की स्थापना से बचें।
पूजा स्थान के पास दैनिक उपयोग की वस्तुएं, जूते-चप्पल या भोजन सामग्री न रखें।
पूजा घर एक ऊर्जा केंद्र है
वास्तव में, पूजा घर सिर्फ ईश्वर का निवास नहीं, बल्कि आपकी ऊर्जा को शुद्ध करने का केंद्र है। यहाँ बैठने से मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
इसलिए इसका स्थान, दिशा और व्यवस्था सभी कुछ अत्यंत सोच-समझकर और श्रद्धा से तय किया जाना चाहिए
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