रविवार (9 अप्रैल) को अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में गुजरात और कोलकाता के मैच के दौरान जो हुआ वो किसी चमतकार से कम नहीं था। बाएं हाथ के युवा बल्लेबाज रिंकु सिंह (Rinku Singh) ने असंभव को संभव कर दिखाया। उन्होंने आखिरी ओवर की 5 बॉल पर 5 छक्के मार कर कोलकाता को एक अविस्मरणीय जीत दिलाई।
टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी गुजरात की टीम ने 20 ओवर में चार विकेट पर 204 रन बनाए थे। दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी कोलकाता की टीम ने काफी धमाकेदार शुरुआत की। लेकिन गुजरात के कप्तान राशिद खान ने 17वें ओवर में हैट्रिक ले कर मैच का रुख गुजरात की तरफ मोड़ दिया था। लोकिन कोलकाता के स्टार बल्लेबाज ने आखिरी ओवर में पूरी बाजी ही पलट दी।
Rinku Singh की संघर्ष से भरी कहानी
कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के बल्लेबाज रिंकू सिंह की कहानी इस बात का सबसे ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे एक बड़ा प्लेटफॉर्म एक इंसान को आम से खास बना सकता। रिंकू को एक सुनहर मौका मिला और उन्होंने सभी को साबित कर दिया कि वह क्या करने में सक्षम हैं। बता दें कि रिंकू सिंह की मैदान पर जो कहानी दिखती है वह उनकी असल जिंदगी से काफी अलग है। क्रिकेट फील्ड में चौके छक्कों की बरसात करने वाले इस बल्लेबाज का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। दरअसल उनके पिता खानचंद सिंह एक गैस सिलेंडर डिलीवरी मैन हैं, जो अपने बड़े बेटों की मदद से सिलेंडर को अपनी साइकिल पर ढोते थे और घर-घर जाकर सिलेंडर की डिलीवरी करते थे। और आज भी रिंकू के माता पिता एक गैस सिलेंडर स्टॉकयार्ड के पास दो कमरों के जर्जर मकान में रहते हैं।
यहां तक कि रिंकू के पास भी अपने भाई के साथ सफाई कर्मचारी बनने का प्रस्ताव था, जो अपनी आजीविका कमाने के लिए घरों में झाडू लगाया करता था।
पोछा लगाने की मिली थी नौकरी
रिंकू ने एक वीडिओ में कहा था कि, ''मुझे एक कोचिंग सेंटर में पोंछा लगाने की नौकरी मिली। कोचिंग सेंटर वालों ने कहा कि सुबह-सुबह आकर पोछा लगाकर जाया करो। मेरे भाई ने ही मुझे यह नौकरी दिलाई थी। मैं ये नौकरी नहीं कर पाया और नौकरी छोड़ दी। मैं पढ़ भी नहीं पा रहा था, तो लगा कि अब क्रिकेट पर पूरा ध्यान लगाना चाहिए। मैंने सोच लिया कि क्रिकेट ही मुझे अब आगे ले जा सकता है और मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि, "मैंने सभी से कहा कि मैं क्रिकेट खेलूंगा और मैं अपनी बात पर टिका रहा। मैं बहुत अच्छी तरह से योग्य भी नहीं था, लेकिन मुझे हमेशा विश्वास था कि क्रिकेट मुझे आगे ले जा सकता है। मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं था इसलिए मैंने अपना सारा ध्यान क्रिकेट पर लगाया। मैंने वास्तव में कड़ी मेहनत की और वे सभी प्रयास अब रंग ला रहे हैं।"
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