भारत के लिए इकॉनमी के मोर्चे पर हाल में कई निराशाजनक खबरें आई हैं। दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमानों से कहीं कम रही है। रुपया रसातल में चला गया है जबकि महंगाई चरम पर है। नवंबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 11 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। दूसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे भी निराशाजनक रहे। इससे शेयर बाजार में गिरावट आई है और विदेशी निवेशक पैसा निकालने में लगे हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।
सुस्त पड़ी जीडीपी की रफ्तार
देश की इकॉनमी दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ गई। पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि घटकर 5.4% पर आ गई जो करीब दो साल में इसका निचला स्तर है। इससे पहले फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.3% था। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन और खपत में मंदी के कारण देश की इकॉनमी की रफ्तार सुस्त पड़ी है। हालांकि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
महंगाई चरम पर
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21% हो गई। यह इसका 14 महीने का उच्चतम स्तर है। सितंबर में यह 5.49% थी। मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों की कीमत बढ़ने के कारण महंगाई में उछाल आई है। पिछले साल अक्टूबर में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी। पिछले साल अगस्त के बाद यह पहला मौका है जब खुदरा महंगाई आरबीआई के टॉलरेंस बैंड के ऊपर चली गई है।
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