कंटेंट क्रिएशन की दुनिया में लाखों क्रिएटर्स करोड़ों में पैसा कमा रहे हैं। ऐसे में इस कमाई पर सरकार को टैक्स भी देना पड़ता है। कंटेंट क्रिएशन से कमाई करने वाले यूट्यूबर्स और अन्य क्रिएटर्स को टैक्स के नियमों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप भी एक कंटेंट क्रिएटर हैं तो आपको पता होना चाहिए कि यूट्यूब से हुई कमाई पर किस फॉर्म के तहत आईटीआर फाइल होता है। साथ में टैक्स कैलकुलेशन का नियम क्या है?
टैक्स कैलकुलेशन के नियम
भारत में टैक्स नियम सभी के लिए समान हैं, हालांकि किसान इस नियम से छूटे हुए हैं। भारत में 3 लाख तक की कमाई को टैक्स फ्री रखा गया है। साथ में अगर आप आईटीआर फाइल करते समय ओल्ड टैक्स रिजीम चुनते हैं तो 5 लाख का इनकम टैक्स फ्री कैटेगरी में आ जाएगा, जबकि न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख तक की कमाई टैक्स फ्री के दायरे में आएगी। बस इनकम टैक्स फाइल करते वक्त एक बात का ध्यान रखना होता है कि सैलरीड क्लास की तरह यूट्यूब से होने वाली कमाई को ITR-1 या ITR-2 फॉर्म के तहत फाइल नहीं किया जा सकता है।
YouTubers के लिए ITR फॉर्म का चयन
YouTuber के रूप में आपकी आय पर फ्रीलांसर या व्यवसायी की तरह टैक्स लगाया जाता है, न कि सैलरीड व्यक्तियों की तरह। इसलिए, आप ITR-1 या ITR-2 फॉर्म का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा सैलरीक्लास टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध 50,000 रुपए की स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा भी आप नहीं कर सकते, क्योंकि आपकी आय वेतन के रूप में योग्य नहीं होती। हालांकि, आप अपने पेशेवर खर्चों के आधार पर टैक्स में कटौती का दावा कर सकते हैं।
कौन सा फॉर्म भरें?
YouTuber की आय को फ्रीलांसर या व्यवसाय की तरह माना जाता है, इसलिए वे ITR-3 फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं यदि आपने अनुमानित कराधान योजना का विकल्प चुना है, तो ITR-4 फॉर्म का उपयोग करना चाहिए। यह फॉर्म अधिक सरल है और इसके लिए बैलेंस शीट या विस्तृत लाभ और हानि विवरण की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, यदि आपकी आय 50 लाख रुपए से अधिक है या यदि आप घाटे को आगे ले जाना चाहते हैं, तो आपको ITR-3 फॉर्म का उपयोग करना आवश्यक है।
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