ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 'मेड इन इंडिया' हथियारों ने कमाल का प्रदर्शन किया था। इसके बाद अब कई विदेशी कंपनियां भारत के डिफेंस सेक्टर में रुचि दिखा रही हैं। हाल ही में रूस और इजराइल के बाद अब यूरोप की एक कंपनी भी भारत में काम करने जा रही है। यह कंपनी टाटा ग्रुप के साथ मिलकर काम करेगी।
यूरोपीय विमानन कंपनी एयरबस और टाटा ग्रुप की एयरोस्पेस शाखा टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) मिलकर एक बड़ा काम करने वाले हैं। वे कर्नाटक के कोलार में H125 हेलीकॉप्टरों के लिए फाइनल असेंबली लाइन (FAL) स्थापित करेंगे। यह भारत की पहली प्राइवेट हेलीकॉप्टर असेंबली फैसिलिटी होगी। यह सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान के लिए एक बड़ी सफलता है। इस अभियान के तहत सरकार एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही है।
चीन-पाकिस्तान का नाम तक नहीं
यह फैक्ट्री एयरबस के सबसे ज्यादा बिकने वाले H125 हेलीकॉप्टर बनाएगी। ये हेलीकॉप्टर भारत और पड़ोसी देशों के लिए होंगे। दुनिया में फ्रांस, अमेरिका और ब्राजील के बाद यह चौथी ऐसी फैसिलिटी होगी। यानी इसमें चीन और पाकिस्तान दूर-दूर तक नहीं हैं। शुरुआत में यहां हर साल 10 हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता होगी। लेकिन एयरबस को उम्मीद है कि अगले 20 सालों में भारत और दक्षिण एशिया में H125 क्लास के 500 हल्के हेलीकॉप्टरों की डिमांड होगी, इसलिए इसका विस्तार किया जाएगा।
इसलिए चुना कर्नाटक को?
सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक को आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसी कई जगहों में से चुना गया है। इसकी वजह यह है कि राज्य में एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग का एक अच्छा सिस्टम पहले से ही मौजूद है।
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