भारत ने ऊर्जा अवसंरचना के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। देश में पेट्रोल पंपों की संख्या 2015 से दोगुनी होकर 1,00,000 के पार पहुंच चुकी है।
भारत ने ऊर्जा अवसंरचना के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। देश में पेट्रोल पंपों की संख्या 2015 से दोगुनी होकर 1,00,000 के पार पहुंच चुकी है। पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर के अंत तक देश में कुल 1,00,266 पेट्रोल पंप संचालित हो रहे थे। इस उपलब्धि के साथ भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोल पंप नेटवर्क वाला देश बन गया है।
ग्रामीण और राजमार्ग क्षेत्रों में तेजी से विस्तार
पेट्रोलियम क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियों ने अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के साथ-साथ ईंधन की पहुंच बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) के स्वामित्व वाले पेट्रोल पंप देश भर में कुल नेटवर्क का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखते हैं। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों और हाईवे नेटवर्क पर लगातार नए पंप खोले जा रहे हैं ताकि ईंधन उपलब्धता को और मजबूत बनाया जा सके।
निजी क्षेत्र का योगदान भी बढ़ा
निजी कंपनियों की भागीदारी भी पहले की तुलना में तेजी से बढ़ी है। रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लिमिटेड 6,921 पेट्रोल पंपों के साथ सबसे बड़ी निजी ईंधन खुदरा विक्रेता बन चुकी है। साल 2015 में जहां निजी क्षेत्र के पास कुल बाजार का लगभग 5.9 प्रतिशत हिस्सा था, वहीं अब यह बढ़कर 9.3 प्रतिशत हो गया है। PPAC के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि 2015 के 50,451 स्टेशनों की तुलना में आज का पेट्रोल पंप नेटवर्क लगभग दोगुना हो चुका है, जो भारत की ऊर्जा क्षमता में बड़ी प्रगति को दर्शाता है।
Comments (0)