भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए को सहारा देने के लिए करेंसी बाजार में आक्रामक हस्तक्षेप किया। RBI ने इस महीने शुद्ध रूप से 11.9 अरब डॉलर की बिक्री की।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए को सहारा देने के लिए करेंसी बाजार में आक्रामक हस्तक्षेप किया। RBI ने इस महीने शुद्ध रूप से 11.9 अरब डॉलर की बिक्री की, जिससे यह साफ हो गया कि रुपए में स्थिरता बनाए रखने में केंद्रीय बैंक सबसे अहम भूमिका निभा रहा है।
RBI के दिसंबर बुलेटिन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 (FY25) के दौरान केंद्रीय बैंक ने स्पॉट और फॉरवर्ड—दोनों बाजारों में सक्रिय रहकर रुपए में तेज उतार-चढ़ाव को रोकने की कोशिश की।
स्पॉट मार्केट में बढ़ा हस्तक्षेप
ओवर-द-काउंटर (OTC) यानी स्पॉट मार्केट में अक्टूबर के दौरान RBI ने डॉलर की खरीद से ज्यादा बिक्री की। डॉलर की कुल खरीद सितंबर के 2.2 अरब डॉलर से उछलकर 17.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई, जबकि बिक्री 192% बढ़कर 29.6 अरब डॉलर हो गई। इसके चलते अक्टूबर में शुद्ध डॉलर बिक्री 11.9 अरब डॉलर रही, जो सितंबर के 7.9 अरब डॉलर से करीब 50% अधिक है।
फॉरवर्ड मार्केट से भी दिया संकेत
स्पॉट मार्केट के साथ-साथ RBI ने भविष्य की उम्मीदों को नियंत्रित करने के लिए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स का भी इस्तेमाल किया। इससे तत्काल विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव नहीं पड़ा। अक्टूबर के अंत तक शुद्ध फॉरवर्ड बिक्री सितंबर के 59.4 अरब डॉलर से बढ़कर 63.6 अरब डॉलर हो गई। यह बड़ी फॉरवर्ड पोजीशन बाजार के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है और जरूरत पड़ने पर डॉलर उपलब्ध कराने का भरोसा देती है।
फ्यूचर्स मार्केट में न्यूट्रल रुख
एक्सचेंज-ट्रेडेड करेंसी फ्यूचर्स बाजार में RBI ने अपनी शुद्ध पोजीशन न्यूट्रल रखी। अक्टूबर में केंद्रीय बैंक ने 2.3 अरब डॉलर खरीदे और उतने ही बेचे। हालांकि, ट्रेडिंग वॉल्यूम में तेज उछाल देखने को मिला और यह सितंबर की तुलना में 73.5% बढ़ गया। अक्टूबर के अंत तक शुद्ध फ्यूचर्स बिक्री घटकर 1.4 अरब डॉलर रह गई।
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