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Sanjay Purohit
कृष्ण: सनातन धर्म के कालजयी नायक
मानव सभ्यता के विस्तृत इतिहास में यदि कोई ऐसा चरित्र है जिसने धर्म, दर्शन, प्रेम, राजनीति और अध्यात्म—सभी को एक साथ समेट लिया, तो वह हैं योगेश्वर श्रीकृष्ण। वे केवल एक पौराणिक कथा के पात्र नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आत्मा, युगों-युगों के प्रेरणास्रोत और मानवता के शाश्वत नायक हैं।
68 views • 2025-08-16
Sanjay Purohit
79वाँ स्वतंत्रता दिवस: नए भारत की नई कहानी
15 अगस्त 2025 का सूर्योदय केवल एक राष्ट्रीय पर्व का संकेत नहीं, बल्कि एक ऐसे युग के आगमन की घोषणा है जहाँ भारत अपनी कहानी खुद लिख रहा है। आज़ादी के 79 वर्ष बाद हम केवल अतीत के गौरव का स्मरण ही नहीं कर रहे, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस संकल्प भी ले रहे हैं—"नया भारत", जो आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्ध और संवेदनशील हो।
80 views • 2025-08-15
Sanjay Purohit
आज़ादी का अमृत महोत्सव: उभरते भारत की नई तस्वीर
आज़ादी का अमृत महोत्सव केवल स्वतंत्रता के 78 वर्षों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उस नये भारत की झलक भी है, जो 21वीं सदी में आर्थिक और सामरिक दृष्टि से वैश्विक मंच पर एक सशक्त शक्ति बनकर उभर रहा है। आज भारत न केवल अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्मरण कर रहा है, बल्कि भविष्य की वह रूपरेखा भी गढ़ रहा है।
117 views • 2025-08-14
Sanjay Purohit
स्वतंत्रता दिवस 2025 : क्या नागरिक कर्तव्य-बोध का क्षरण हो रहा है?
भारत अपनी आज़ादी का 79वां वर्ष मना रहा है। तिरंगा लहराता है, देशभक्ति के गीत गूंजते हैं, और हर ओर गर्व की अनुभूति होती है। लेकिन इस उत्सव के शोर में एक गंभीर प्रश्न दब जाता है—क्या हमारे भीतर नागरिक कर्तव्यों का बोध धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है? क्या हम केवल अधिकारों की बात कर रहे हैं, और जिम्मेदारियों को भूलते जा रहे हैं?
135 views • 2025-08-13
Sanjay Purohit
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्: जन्माष्टमी एक पर्व नहीं, आत्मचेतना का आह्वान
हर वर्ष भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी की रात एक ऐसा दिव्य क्षण लेकर आती है, जब भारत की सांस्कृतिक आत्मा श्रीकृष्ण के रूप में पुनर्जन्म लेती है। यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि उस चेतना का स्मरण है जो जीवन को शाश्वत दिशा देती है।
84 views • 2025-08-11
Sanjay Purohit
भारतीय संस्कृति का अद्भुत पर्व: रक्षाबंधन
भारतवर्ष की संस्कृति विश्व में अपने गहन भाव-संपन्न पर्वों, आत्मीय परंपराओं और संबंधों की गरिमा के लिए जानी जाती है। इन्हीं में से एक अद्वितीय पर्व है — रक्षाबंधन। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जो भारतीय मानस की गहराइयों से उपजा है।
126 views • 2025-08-07
Sanjay Purohit
स्वतंत्रता या उच्छृंखलता: युवाओं के बदलते मानक
समाज की चेतना का सबसे सजीव रूप उसका युवा वर्ग होता है। युवाओं में ऊर्जा होती है, नवीनता की खोज होती है और साहस होता है सीमाओं को लांघने का। यही विशेषताएं किसी भी देश और समाज के भविष्य को गढ़ती हैं। लेकिन जब यही युवा दिशा और मूल्यों से कटकर केवल स्वतंत्रता के नाम पर स्वेच्छाचार की ओर बढ़ने लगे, तब यह चिंता का विषय बन जाता है।
42 views • 2025-07-27
Sanjay Purohit
सावन, हरियाली और श्रृंगार — सनातन संस्कृति की त्रिवेणी
सावन मात्र एक ऋतु नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आत्मा को छू लेने वाला एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह वह कालखंड है जब आकाश से बूंदें नहीं, वरन् देवी-आशीर्वाद बरसते हैं। धरती माँ का आँचल हरियाली से सज जाता है और स्त्री का सौंदर्य, श्रृंगार और भावनात्मक गहराई अपने चरम पर पहुँचती है।
126 views • 2025-07-25
Sanjay Purohit
जागरूक होता इंसान और सिसकती संवेदनाएँ
हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ मनुष्य 'जागरूक' तो है, लेकिन भीतर से 'असंवेदनशील' होता जा रहा है। तकनीक, सूचना और वैज्ञानिक प्रगति ने उसके जीवन को सुविधाजनक अवश्य बना दिया है, परंतु इस यात्रा में उसने बहुत कुछ खोया भी है—खासतौर पर वह सहज मानवीय भावनाएँ जो किसी भी समाज को जीवंत बनाती हैं।
94 views • 2025-07-25
Sanjay Purohit
प्रेरणा – आत्मबल का जाग्रत स्रोत
प्रेरणा – यह एक ऐसा शब्द है, जिसमें सकारात्मकता का असीम बोध समाहित होता है। यह जीवन के सार्थक पहलुओं और उद्देश्यों की ओर निरंतर अग्रसर करती है। प्रेरणा, हमारे प्रयासों को ऊर्जा और सार्थक गति प्रदान करने में एक अदृश्य शक्ति के रूप में कार्य करती है, जो हर ठहराव में भी प्रवाह भर देती है।
117 views • 2025-07-23
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