धनतेरस: दीपावली के प्रकाश पर्व की आध्यात्मिक शुरुआत
दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 17 अक्टूबर 2025
149
0
...

दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।

वैदिक परंपरा के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु का यह अवतार आरोग्य और आयु का अधिपति माना गया। इसलिए इस दिन दीपक जलाना केवल शुभता का संकेत नहीं, बल्कि यह अपने भीतर की नकारात्मकता, रोग और दुर्भावनाओं के अंधकार को मिटाने का प्रतीक है। यह वह क्षण है जब सच्चे अर्थों में दीपावली की आत्मा प्रकट होती है — “अंधकार से प्रकाश की ओर” की यात्रा की शुरुआत।

धनतेरस शब्द में “धन” केवल धन-संपत्ति का नहीं, बल्कि धन्य जीवन के सभी आयामों — मन, शरीर और आत्मा — का बोध है। वैदिक दृष्टि कहती है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्ची भावना से दीप प्रज्वलित करता है, वह अपने भीतर छिपे आलोक को जाग्रत करता है। यही कारण है कि यह तिथि भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है।

लोक परंपरा में इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या नए वस्त्र खरीदना शुभ माना गया है। यह केवल लेन-देन की परंपरा नहीं, बल्कि सृजन और नवीन ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक है। इस दिन किया गया पूजन और दान व्यक्ति के जीवन में आरोग्य और ऐश्वर्य दोनों का प्रवेश कराता है। कहा जाता है — “धन्वंतरि की कृपा बिना लक्ष्मी स्थिर नहीं रहती,” इसलिए दीपावली की शुरुआत आरोग्य के इस दिवस से करना जीवन की समग्र समृद्धि का आमंत्रण है।

अतः धनतेरस वह दिव्य बिंदु है जहाँ से दीपावली की ज्योति यात्रा आरंभ होती है — एक दीप शरीर के आरोग्य के लिए, दूसरा मन की शांति के लिए, और तीसरा आत्मा के ज्ञान के लिए। जब धनतेरस का पहला दीप जलता है, तब वास्तव में अंधकार पर प्रकाश की विजय यात्रा प्रारंभ होती है, जो अमावस्या की पावन रात में चरम आलोक बनकर फैल जाती है।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Sanjay Purohit
प्रकाश और करुणा का संगम: कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती 2025
कार्तिक पूर्णिमा — जब आकाश में पूर्ण चन्द्र अपनी सम्पूर्ण ज्योति बिखेरता है — भारतीय आध्यात्मिक चेतना का एक विलक्षण पर्व है। यह दिन केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रकाश, करुणा और आत्मशुद्धि का प्रतीक बनकर हमारे भीतर के अंधकार को मिटाने का संदेश देता है। इस वर्ष 2025 में यह पावन पूर्णिमा अत्यंत विशेष है, क्योंकि इसी तिथि पर सिख धर्म के प्रथम गुरु — गुरु नानक देव जी — का जन्मोत्सव, गुरुपरब, भी मनाया जा रहा है।
111 views • 2025-11-05
Richa Gupta
देव दीपावली पर जलाएं एक दीप पितरों के नाम, मिलेगी पितृ ऋण से मुक्ति
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली देव दीपावली का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व देवताओं के पृथ्वी पर आगमन और उनकी प्रसन्नता का प्रतीक है।
95 views • 2025-11-05
Sanjay Purohit
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें, मिलेगा महादेव का आर्शीवाद!
प्रदोष व्रत पर शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में इस दिन अवश्य ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.
45 views • 2025-11-02
Sanjay Purohit
आंवला अक्षय नवमी 2025: धर्म, प्रकृति और अक्षय जीवन की अनुभूति का पर्व
कार्तिक मास की शुक्ल नवमी तिथि, जो इस वर्ष 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार को पड़ रही है, आंवला अक्षय नवमी के रूप में मनाई जाएगी। यह दिन भारतीय संस्कृति में धर्म, प्रकृति और सनातन चेतना के अद्भुत संगम का प्रतीक है। इस पर्व का मूल भाव यह है कि आस्था केवल मंदिरों में सीमित न रहकर वृक्षों की जड़ों, वायु की पवित्रता और जीवन की शुद्धता में भी प्रवाहित हो। कार्तिक मास के इस शुभ काल में आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है, क्योंकि शास्त्रों में इसे भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है।
87 views • 2025-10-30
Richa Gupta
Dev Uthani Ekadashi 2025: तुलसी पूजन से पाएं मां लक्ष्मी की कृपा, करें ये आसान उपाय
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रीहरि और धन की देवी मान लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
188 views • 2025-10-28
Sanjay Purohit
नवंबर में कब है देव दीपावली?, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त
देव दीपावली का पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके बाद देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इस साल 5 नवंबर 2025 को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा।
204 views • 2025-10-28
Richa Gupta
छठ पूजा 2025: आज है खरना, जानें पूजा विधि और जरूरी सावधानियां
छठ पूजा 2025 में आज खरना है। भक्त सूर्य देव की पूजा करते हैं। जानें खरना की विधि, शुभ मुहूर्त और वे गलतियां जो नहीं करनी चाहिए।
267 views • 2025-10-26
Richa Gupta
छठ पूजा 2025: जानें क्या करें और क्या नहीं, व्रत के जरूरी नियम
छठ महापर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। आज 25 अक्टूबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है जिसका समापन 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ होगा।
1632 views • 2025-10-25
Richa Gupta
छठ पर्व क्यों मनाया जाता है? जानिए सूर्य देव और छठी मैया का पवित्र संबंध
छठ का पर्व भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है।
202 views • 2025-10-23
Sanjay Purohit
स्वास्थ लाभ के बाद प्रेमानंद महाराज जी ने फिर शुरू की पदयात्रा
प्रेमानंद महाराज ने भी अत्यंत सहजता से भक्तों का अभिवादन स्वीकार किया और उन्हें आशीर्वाद दिया। महाराज जी के दर्शन पाकर भक्तों के चेहरे खुशी से दमक उठे। भक्तों में अपार उत्साह और संतोष की भावना छाई हुई है।
350 views • 2025-10-23
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
बगराम एयरबेस: शक्ति-संतुलन की धुरी और भारत की रणनीतिक सजगता
अफगानिस्तान की पर्वत-शृंखलाओं के बीच बसा बगराम एयरबेस आज केवल एक सैन्य ठिकाना नहीं, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति का प्रतीक बन चुका है। कभी अमेरिकी फाइटर जेट्स की गर्जना से गूंजने वाला यह अड्डा अब शक्ति-संतुलन, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के अदृश्य खेल का केंद्र है।
160 views • 2025-10-30
Sanjay Purohit
बाहर-भीतर उजाले के साथ फैलाए सर्वत्र खुशहाली
अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, दुष्चरित्रता पर सच्चरित्रता की और निराशा पर आशा की जीत का पर्व दीपावली भारतीय संस्कृति व सामाजिक दर्शन का मूल भाव दर्शाता है। पारंपरिक रूप से इस मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ खुशहाली की कामना समाज के हर वर्ग के लिए है जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है। दूसरे पर्वों की तरह यह पर्व भी प्रकृति व सामाजिक परिवेश के प्रति दायित्व निभाने का संदेश लिये है। मसलन हम पारंपरिक उद्यमों से निर्मित सामान खरीदकर उन्हें संबल दें।
68 views • 2025-10-19
Sanjay Purohit
फिल्मी दिवाली में प्रतीकों के जरिये बहुत कुछ कहने की परंपरा
फिल्मों में हर त्योहार का अपना अलग प्रसंग और संदर्भ है। होली जहां मस्ती के मूड, विलेन की साजिश के असफल होने और नायक-नायिका के मिलन का प्रतीक बनता है। जबकि, दिवाली का फ़िल्मी कथानकों में अलग ही महत्व देखा गया। जब फ़िल्में रंगीन नहीं थी, तब भी दिवाली के दृश्य फिल्माए गये। पर, वास्तव में दिवाली को प्रतीकात्मक रूप ज्यादा दिया गया। अधिकांश पारिवारिक फिल्मों में दिवाली मनाई गई, पर सिर्फ लक्ष्मी पूजन, रोशनी और पटाखों तक सीमित नहीं रही। दिवाली की रात फिल्मों के कथानक में कई ऐसे मोड़ आए जिनका अपना अलग भावनात्मक महत्व रहा है।
195 views • 2025-10-18
Sanjay Purohit
धनतेरस: दीपावली के प्रकाश पर्व की आध्यात्मिक शुरुआत
दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।
149 views • 2025-10-17
Sanjay Purohit
गांधी जयंती विशेष: आज की दुनिया में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता
आज जब पूरी दुनिया हिंसा, युद्ध, जलवायु संकट, आर्थिक असमानता और मानवीय संवेदनाओं के क्षरण से जूझ रही है, ऐसे समय में महात्मा गांधी के सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक दिखाई देते हैं। गांधीजी का जीवन कोई बीता हुआ अध्याय नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो आज के अंधकारमय परिदृश्य में मार्गदर्शन करता है।
169 views • 2025-10-02
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
302 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
शक्ति का दर्शन : सनातन परंपरा में शाक्त मार्ग और नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
सनातन परंपरा के विशाल आध्यात्मिक आकाश में शक्ति की साधना एक अद्वितीय और प्राचीन प्रवाह है। शाक्त दर्शन केवल किसी देवी की पूजा का भाव नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त ऊर्जा, चेतना और जीवन के रहस्यों को समझने का मार्ग है।
162 views • 2025-09-21
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
260 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
294 views • 2025-09-05
Sanjay Purohit
संतति, संस्कृति और पितृपक्ष : सनातन परंपरा का जीवंत संवाद
सनातन संस्कृति की गहराई को समझना हो तो पितृपक्ष उसका सबसे जीवंत आयाम है। यह केवल 16 दिन का कर्मकांड नहीं है, बल्कि संतति और पूर्वजों के बीच संवाद का अवसर है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के दार्शनिक रहस्य को यह पर्व अपने भीतर समेटे हुए है।
331 views • 2025-09-02
...