एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने विशाल कुशल कार्यबल और सहायक नीतियों के कारण शीर्ष जीसीसी गंतव्य के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में 2030 तक 33 लाख पेशेवरों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
वैश्विक क्षमता केंद्रों यानी जीसीसी में इस साल 4.25-4.5 लाख नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। अगले छह वर्षों में यह बढ़कर 10 लाख के पार हो सकती है। इसमें 35 प्रतिशत कंपनियां कर्मचारियों की संख्या 50-100 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखी हैं।
एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने विशाल कुशल कार्यबल और सहायक नीतियों के कारण शीर्ष जीसीसी गंतव्य के रूप में उभरा है। इस क्षेत्रमें 2030 तक 33 लाख पेशेवरों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। बंगलूरू, मुंबई, पुणे और चेन्नई में जीसीसी फ्रेशर्स की मांग को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। युवाओं को अगली पीढ़ी के खोजपरक के लिए तैयार करते हुए 42 प्रतिशत जीसीसी द्वारा कैलेंडर वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ अपने कार्यबल को बढ़ाने की संभावना है।
2030 तक जीसीसी केंद्रों की संख्या 2100 से अधिक होने की उम्मीद
भारतीय कंपनियों के 61 प्रतिशत से अधिक जीसीसी को 2030 तक महिला नियुक्तियों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान है। इस वर्ष की तुलना में यह सात फीसदी अधिक है। वैश्विक जीसीसी केंद्र के रूप में भारत की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। 2030 तक केंद्रों की संख्या 2,100 से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे बाजार का आकार 100 अरब डॉलर के करीब हो जाएगा।
वित्तीय सेवाओं में सबसे ज्यादा जरूरत
भारत के जीसीसी में तकनीक, वित्त, विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में नियुक्तियां बढ़ रही हैं। वित्तीय सेवाओं में सबसे ज्यादा 79 फीसदी की जरूरत होगी। मार्केटिंग और डिजिटल विज्ञापन (73 प्रतिशत) भी प्राथमिकता होगी, क्योंकि कंपनियां डिजिटल दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दे रहीहैं। वित्त वर्ष 2026 के बजट में राष्ट्रीय ढांचे की शुरूआत से दूसरे औरतीसरे स्तर के शहरों में जीसीसी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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