बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की गोवा बेंच ने फैसला सुनाया है कि स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों को डांटना या सजा देना अपराध नहीं है। ये फैसला कोर्ट ने एक प्राइमरी स्कूल टीचर की सजा के आदेश को पलटते हुए दिया है। इस शिक्षक पर स्कूल में दो छात्रों को डंडे से पीटने का आरोप था, जिसके लिए उन्हें एक दिन की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
स्कूल का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक शिक्षण ही नहीं
निर्णय सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि बच्चों को न केवल शैक्षणिक शिक्षा के लिए बल्कि जीवन के अन्य पहलु जैसे अनुशासन को सीखने के लिए भी स्कूल में दाखिल किया जाता है। स्कूल का लक्ष्य केवल अकादमिक विषयों को पढ़ाना नहीं है, बल्कि छात्रों को जीवन के सभी पहलुओं के लिए तैयार करना है ताकि वे भविष्य में अच्छे शिष्टाचार के व्यक्ति बन सकें।
जानिए पूरा मामला
ये घटना 2014 में घटी थी, जिसमें शिक्षक पर दो बहनों की पिटाई करने का आरोप लगाया गया था। एक 5 साल की थी और दूसरी 8 साल की थी। छोटी बहन ने अपनी बोतल का पानी खत्म कर के कक्षा की दूसरी लड़की की बोतल से पानी पिया जिसके बाद उसकी बहन दूसरी कक्षा उसे देखने आई। इसके लिए शिक्षक ने कथित तौर पर दोनों बहनों की स्केल से पिटाई की थी।
शिक्षक सख्त होने लिए बाध्य होते हैं
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा, "किसी और के बोतल से पानी पीना स्कूल के अनुशासन के खिलाफ है, ऐसा करने से दूसरे छात्र के अभिभावक स्कूल में शिकायत कर सकते थे। इसके कारण ही शिक्षक को यह कदम उठाना पड़ा था। यदि छात्र निर्देशों को समझने में सक्षम नहीं होते हैं और बार-बार ऐसी गलतियां कर रहे हैं तो उसे समझाने के लिए शिक्षक सख्त होने पर बाध्य होते हैं।"
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