तृप्ति डिमरी और विकी कौशल की बैड न्यूज में दिखाई गई प्रेग्नेंसी कंडीशन कितनी रेयर हैं।क्या ऐसा होना संभव हैं ? आमतौर पर इंसानों में सुपरफेटेशन के कितने मामले हैं।मेडिसिन की रेयर कंडीशन सुपरफेटेशन की पूरी जानकारी पढ़िए...
फिल्में जानकारी का जरिया
फिल्में एक बहुत अच्छा जरिए कोई भी संदेश या जानकारी एक साथ समाज के बड़े तबके तक पहुंचाने के लिए। आजकल ऐसी फिल्मों का ही निर्माण हो रहा है। जो सोशल प्लेफॉर्म या तो कोई जानकारी या फिर कोई संदेश लोगों में पहुंचा रही है। 19 जुलाई को रिलीज होने वाली मोस्ट अवेडेट फिल्म ‘बैड न्यूज’ की कहानी भी कुछ एसी ही है।नाम जरूर बैड न्यूज लेकिन इसमें एक अलग किस्म की प्रेगनेंसि के बारे में बताया गया है।कहानी में लीड रोल निभा रही एक्ट्रेस तृप्ति डिमरी प्रेग्नेंट हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि होने वाले बच्चे का पिता कौन है।यह जानने के लिए वो अपने सेक्स पार्टनर्स का पेटरनिटी टेस्ट करवाती हैं।रिजल्ट्स के बाद मामला और घूम जाता है।पता चलता है कि एक्ट्रेस हो बच्चों को जन्म देने वाली है और बच्चों के पिता अलग-अलग हैं।
अब क्या ऐसा हो सकता है?
सबके मन में ये सवाल होगा।जो इसका जवाबा है हां बिलकुल मुमकिन है।मेडिसिन में इस रेयर कंडीशन को हेट्रोपैटर्नल सुपरफेकंडेशन कहते हैं, यह सुपरफेटेशन(Superfetation) का सब टाइप है।इसमें पहले से एक प्रेग्नेंसी होने के बाद भी दूसरी प्रेग्नेंसी हो सकती है।आमतौर पर इंसानों के मामलों में यह कंडीशन बहुत रेयर है। लेकिन जानवरों में यह काफी फ्रीक्वेंट हैं।
सुपरफेटेशन होता क्या है ?
जब एक प्रेग्नेंसी होने के बाद भी दूसरी प्रेग्नेंसी हो जाए इसे सुपरफेटेशन कहते हैं।जबकि महिला जब प्रेग्नेंट होती है तो वो नेचरल होरमोनल चेंजेस से गुजरती है कि उसके लिए एक प्रेग्नेंसी के साथ दूसरी लगभग असंभव होती है। जब महिला के गर्भाशय में पहले से एक फर्टिलाइज्ड एग पहले से ही विकसित हो रहा होता है तो फिर से प्रेग्नेंसी का चांस लगभग खत्म हो जाता है।जबकि सुपरफेटेशन की स्थिति में यह सारी सीमाएं बाधाएं दरकिनार हो जाती हैं।
क्या सुपरफेटेशन ट्विन्स प्रेग्नेंसी के समान है ?
बिलकुल नहीं सुपरफेटेशन और ट्विन्स प्रेग्नेंसी में बहुत अंतर है।लेकिन यह कई मामलों में एक हो सकती हैं। जुड़वां बच्चों की तरह सुपरफेटेशन में भी दो भ्रूण एक ही गर्भ में पहल रहे होते हैं और एक-दूसरे के साथ बढ़ते हैं।सुपरफेटेशन होने पर भी अक्सर दोनों बच्चों का जन्म एक ही समय पर होता है।
दरअसल ट्विन्स के मामले में दोनों बच्चे एक ही मेंस्ट्रुअल साइकल के होते हैं। जबकि इसके उलट सुपरफेटेशन में दोनों भ्रूण अलग-अलग साइकल के दौरान कंसीव होते हैं। यही कारण है सुपरफेटेशन में दोनों भ्रूण की गर्भ आयु अलग-अलग होती है। जो भ्रूण पहले कंसीव हुआ है वो पहले परिपक्व हो जाएगा दूसरे से, ट्विन्स के मामले में दोनों भ्रूण एक साथ परिपक्व होते हैं।
कैसे होता है सुपरफेटेशन ?
इंसानों में प्रेग्नेंसी के लिए महिला का एग स्पर्म से फर्टिलाइज्ड होता है।इसके बाद फर्टिलाइज्ड एग महिला के गर्भाशय में विकसित होता है।ऐसी ही स्थिति में एक और पूरी तरह से अलग एक फर्टिलाइज्ड होकर गर्भ में आ जाए तो सुपरफेटेशन की कंडीशन बन जाती है।
इससे कैसे बचा जा सकता है ?
पहली बात तो यह इतना रेयर है की नॉर्मल इंसान में होने की संभावना जीरो हैं। फिर भी इससे बचने के लिए अगर कोई पहले से प्रेग्नेंट है तो फिर इंटरकोर्ट करने से बचे।अभी तक सुपरफेटेशन के जो मामले सामने आए हैं, उनमें ऐसा हुआ है कि किसी महिला ने IVF के जरिए कंसीव किया।जबकि वह उसके पहले ही नेचुरल इंटरकोर्ट में प्रेग्नेंट हो चुकी थी।यह स्थिति भी सुपरफेटेशन का कारण बन सकती है।
सुपरफेटेशन की चर्चा इतनी क्यों ?
मेडिसिन की एक रेयर कंडीशन होने के साथ साथ इंसानों में होना यह इतना रेयर है कि पूरी दुनिया में इसके सिर्फ 10 मामले ही पुष्ट हुए हैं।इसलिए सुपरफेटेशन के मामले सुर्खियां बन जाते हैं, क्योंकि यह इतना रेयर होते हैं।ऐसे में प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चों के जन्म तक कई खतरे बच्चों और मां को होते हैं।
कितनी कॉम्लिकेशन हो सकती हैं ?
प्रेग्नेंसी के दौरान दोनों बच्चे अलग-अलग स्टेज में बढ़ रहे होंगे। एसी कंडीशन भी बन सकती है कि एक बच्चा जन्म लेने वाला है तो वहीं दूसरा अभी तैयार नहीं हआ है।इस स्थिति में छोटे बच्चे का समय से पहले जन्म लेने का जोखिम होता हैं।दोनों बच्चों में 3 से 4 हफ्तों का फर्क हो सकता है।ऐसे में संभावना है छोटे बच्चे का सही ढंग से विकास नहीं हो पाना।इसी के साथ जो महिला एक से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली है, से भी कुछ कॉम्लीकेशन होने का खतरा बढ़ जाता है।इस दौरान महिला को कई बीमारियां हो सकती हैं।
जैसा की फिल्म में दर्शाया गया है नेचुरल इंटरकोर्स से सुपरफेटेशन की स्थिति दिखाई गई है, वह लगभग असंभव है, क्योंकि इसके लिए तीन रेयर कंडीशन का होना जरूरी हैं-
गर्भावस्था के दौरान ओव्यूलेशन यानि की अंडाशय से एग का बाहर निकलना और यह असंभव है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल प्रक्रिया ओव्यूलेशन नहीं होने देती हैं।
एग स्पर्म से फर्टिलाइज्ड होना चाहिए यह भी संभव नहीं है क्योंकि एक बार जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसकी ओवरी में सुरक्षा कवच की तरह एक म्यूकस प्लग बन जाता है और यह स्पर्म को एग तक पहुंचने के रास्ते में ही रोक देता है।
फर्टिलाइज्ड एग को पहले से प्रेग्नेंट महिला के गर्भ में प्लांट करने की आवश्यकता है यह कंडीशन भी कठिन है क्योंकि प्रत्यारोपण के लिए कुछ हार्मोन्स का रिलीज होना जरूरी है। जबकि महिला अगर पहले से प्रेग्नेंट है तो ये रिलीज नहीं होंगे।
और यह तीनों कंडीशन एक साथ घटित होना लगभग असंभव है।
Written By-Prishita Sharma
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