बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है जो किसी की भी सगी नहीं. इस इंडस्ट्री में जो भी आता है उसे संघर्ष करना पड़ता है. फिल्म इंडस्ट्री पर हमेशा से परिवारवाद का आरोप लगता रहता है. साउथ भी इससे अछूता नहीं है. लेकिन कई सारे कलाकार ऐसे रहे हैं जिनका बैकग्राउंड भले ही फिल्मी रहा लेकिन इसके बाद भी इन स्टार्स ने अपने दम पर इंडस्ट्री में जगह बनाई और खूब नाम कमाया. इन्हीं स्टार्स में से एक हैं संजय दत्त. इन्हें फैंस प्यार से संजू बाबा कहते हैं. संजय दत्त का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा. लेकिन एक्टर ने हर दफा खुद को साबित किया और सबका भरोसा जीता. उनकी हालिया संघर्ष में शामिल है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी. एक्टर ने न सिर्फ कैंसर को मात दी बल्कि फिल्मों में भी वे दमदार परफॉर्मेंस देते गए. संजय अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं.
नायक नहीं खलनायक हूं मैं
संजय दत्त के पिता सुनील दत्त इंडस्ट्री का नामी चेहरा तो थे ही साथ ही अपने समय के बड़े पॉलिटिशियन भी थे. उन्होंने अपने करियर में हर तरफ नाम कमाया. इस तरह से संजू बाबा को भी फिल्मों में एंट्री मारने में दिक्कत नहीं हुई और उन्होंने रॉकिंग स्टाइल में एंट्री मारी. उनकी पहली फिल्म रॉकी थी और इस फिल्म से ही वे छा गए. इसके बाद उन्होंने गुमराह, सड़क, साजन, थानेदार, ताकतवर, ईमानदार, जीवा, नाम और विधाता जैसी फिल्मों में काम किया. लेकिन साल 1993 वो साल था जब संजय दत्त बड़े विवाद में फंस गए और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
सलाखो के पीछे
1993 में मुंबई बम ब्लास्ट मामले में संजय दत्त का नाम आया और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई. वे काफी समय तक जेल में भी रहे. उन्हें 1993 में और 1995 में इस सिलसिले में बेल भी मिली. साल 1993 में ही उनकी फिल्म खलनायक आई थी. फिल्म खूब चली और उनका कैरेक्टर भी नेगेटिव ही था. ये वो दौर था जब लोगों के मन में संजू बाबा को लेकर नेगेटिव इमेज बनने लग गई थी. गैंग्सटर्स संग उनकी नजदीकियां भी इसकी वजह बताई जाती थीं. इसका खामियाजा ये हुआ कि कुछ समय तक उनकी फिल्में भी नहीं चलीं और उनका करियर भी खत्म माना जा रहा था.
एम बोले तो मुन्नाभाई
साल 2003. वो साल जिसने एक बार फिर से संजय दत्त को टॉप एक्टर्स की लिस्ट में लाकर खड़ा कर दिया. वो फिल्म थी राजकुमार हिरानी की मुन्नाभाई एमबीबीएस. फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई और इसके दूसरे पार्ट को भी काफी पसंद किया गया. ये वो फिल्म थी जिसकी संजू बाबा को अपने करियर में बहुत जरूरत थी. इसके बाद फिर से संजय दत्त की गाड़ी ट्रैक पर आ गई. संजू बाबा का रुतबा इंडस्ट्री में ऐसा रहा है कि टॉप एक्टर रणबीर कपूर को लेकर संजय दत्त की बायोपिक बनाई गई. फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई .
कैंसर को दी मात
सिर्फ फिल्में ही नहीं संजय दत्त की पर्सनल लाइफ भी काफी फिल्मी लगती है. एक्टर जब-जब मुश्किल में रहे तब उनका कोई करीबी उन्हें छोड़ गया. उनकी मां नरगिस की मौत भी कैंसर से हुई थी. इसके बाद उनकी पहली पत्नी रिचा शर्मा की डेथ भी कैंसर से हुई थी. और जब संजय दत्त बम ब्लास्ट केस से पूरी तरह आजाद नहीं हुए थे उस दौरान ही उनके पिता सुनील दत्त का भी इंतकाल हो गया था. संजय दत्त ने अपने जीवन में बहुत कुछ झेला.
सब कुछ ठीक चल ही रहा था कि एक दिन संजय दत्त को पता चलता है कि उन्हें स्टेज 4 कैंसर है. वे पूरी तरह से टूट चुके थे. उन्हें ऐसा लगा कि वे कभी बच नहीं पाएंगे. कैंसर खतरनाक था. लेकिन संजय दत्त ने अपनी फैमिली की तरफ देखा, अपने फैंस की ओर देखा और अपने जीवन की इस चुनौती से भी पार पाने का फैसला लिया. इसमें वे सफल भी हुए. उन्होंने कैंसर का इलाज कराया और आज वे इस बीमारी से भी मुक्त हो चुके हैं. साथ ही उनका करियर भी ट्रैक पर फुल स्पीड से चल रहा है.
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