बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेंट ने अपना दूसरा नेशनल अवॉर्ड जीतकर अपनी काबिलियत का फिर से लोहा मनवाया है। 28 साल बाद ये सफलता मिली है, जो उनके मेहनत और लगन का बड़ा सबूत है। वैभवी मर्चेंट ने पहली बार 21 साल की उम्र में ‘हम दिल दे चुके सनम’ फिल्म के गाने ‘ढोली तारो ढोल बाजे’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता था।
बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेंट ने अपना दूसरा नेशनल अवॉर्ड जीतकर अपनी काबिलियत का फिर से लोहा मनवाया है। 28 साल बाद ये सफलता मिली है, जो उनके मेहनत और लगन का बड़ा सबूत है। वैभवी मर्चेंट ने पहली बार 21 साल की उम्र में ‘हम दिल दे चुके सनम’ फिल्म के गाने ‘ढोली तारो ढोल बाजे’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता था। अब उन्होंने फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के गाने ‘ढिंढोरा बाजे रे’ के लिए बेस्ट कोरियोग्राफर का नेशनल अवॉर्ड हासिल किया है। यह गाना यूट्यूब पर 35 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है।
21 साल की उम्र में पहला नेशनल अवॉर्ड
वैभवी मर्चेंट ने अपने करियर की शुरुआत असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर की थी। 1999 में आई फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ ने उन्हें बॉलीवुड में पहचान दिलाई। इस फिल्म के एक गाने को कोरियोग्राफ करने के लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। उस वक्त वे महज 21 साल की थीं और खुद कहती हैं कि उस समय उन्हें अवॉर्ड की असली अहमियत समझ नहीं आई थी।
28 साल बाद दूसरा नेशनल अवॉर्ड
अपने पहले नेशनल अवॉर्ड के 28 साल बाद वैभवी मर्चेंट को फिर से यह सम्मान मिला है। इस बार उन्होंने ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ फिल्म के सुपरहिट गाने ‘ढिंढोरा बाजे रे’ को कोरियोग्राफ किया है, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया है। यह गाना यूट्यूब पर भी भारी लोकप्रिय हो चुका है और 35 मिलियन से ज्यादा व्यूज पा चुका है।
बॉलीवुड में वैभवी मर्चेंट का योगदान
वैभवी मर्चेंट बॉलीवुड की सबसे प्रतिष्ठित कोरियोग्राफर में से एक हैं। उन्होंने ‘लगान’, ‘देवदास’, ‘धूम’, ‘वीर जारा’, ‘स्वदेस’, ‘बंटी और बबली’, ‘रंग दे बसंती’, ‘कृष’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’, ‘दिल्ली 6’, ‘डॉन 2’, ‘जब तक है जान’, ‘बैंड बाजा बारात’, ‘दबंग 3’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘टाइगर 3’ और ‘जवान’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में कोरियोग्राफी की है। उनके काम की जितनी तारीफ की जाए, कम है।
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