क्या आप जानते है भारतीयों में दिल की बीमारी के मामले दुनिया की तुलना में समय से पहले आ रहे हैं? इसका कारण खराब खाना और खराब लाइफस्टाइल नहीं बल्कि आनुवांशिकी( genetics) है। इसे ‘पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया’ कहा जाता है।जिससे कम उम्र में है हाई कोलेस्ट्रोल और दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बहुत जल्दी दुनिया के मुकाबले दिल की बीमारी के मरीज बढ़ रहे है।यानि दुनिया में दिल की बीमारी शुरू होने की औसत आयु 62 साल है, तो भारत में यह 52 साल है। क्योंकि बड़े पैमाने पर जेनेटिक्स कारणों में कम उम्र में ही बीमारी बढ़ रही है।
81% भारतियों की लिपिड प्रोफाइल खराब
रिपोर्ट की मानें तो भारतियों के लिपिड प्रोफाइल में लिपोप्रोटीन की मात्रा ज्यादा है। लिपोप्रोटीन वसा (लिपिड) और प्रोटीन से बने गोल कण होते हैं। जो आपके रक्तप्रवाह में आपके पूरे शरीर में कोशिकाओं तक पहुंचते हैं। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लिपोप्रोटीन में पाए जाने वाले दो प्रकार के लिपिड हैं।जिनके घटने बढ़ने से हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या होती है।25% से ज्यादा लोगों में यह मानक से ज्यादा पाए गए, जबकि ग्लोबल औसत 20 फीसदी से कम है।देश में यह गोवा और केरल में ज्यादा है।हाल ही में लिपिड प्रोफाइल को लेकर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 81% भारतियों की लिपिड प्रोफाइल खराब है।67 फीसदी भारतीय लो एचडीएल कोलेस्ट्रोल यानि की गुड कोलेस्ट्रोल और हाई ट्राइग्लेसिराइड्स से जूझ रहे हैं।समय से पहले दिल की बीमारी का शिकार हो रहे
देश में एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के 5% मामले 60 साल से अधिक आयु वर्म में पाए गए हैं। यह सिंड्रोम तब होता है जब दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त ब्लड और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इस सिंड्रोम में अस्थिर एनजाइना और दिल का दौरा शामिल है। वहीं, 20 फीसदी मामले 45 साल से कल उम्र के लोगों में मिले। रिपोर्ट में इसके जेनेटिक्स कारण बताए गए हैं, जिसके चलते भारतीयों का लिपिड प्रोफाइल बिगड़ रहा है, जो समय से पहले ही दिल की बीमारी के शिकार हो रहे हैं।Written by- Prishita Sharma
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