विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हीट वेव दुनियाभर में मौत का एक बड़ा कारण है. भारत में इस बार अधिक गर्मी और हीट वेवकी आशंका जताई जा रही है. हीट वेव सेहत पर कैसे असर करती है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है.
मौसम विभाग ने इस बार अधिक गर्मी पड़ने की आशंका जताई है. देश में अप्रैल से जून महीने में गर्मी का प्रकोप देखने को मिल सकता है. यूपी, बिहार से समेत देश के 16 राज्यों में लू चलने की भविष्यवाणी की गई है. लू यानी हीट वेव जानलेवा भी साबित हो सकती है. इससे हर साल लोगों की मौत होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हीट वेव दुनियाभर में मौत का एक बड़ा कारण है. 1998-2017 तक, लू के कारण दुनियाभर में 16 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस बार भारत में भी हीट वेव का खतरा अधिक है. ऐसे में लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री पार कर जाता है और साथ में गर्म हवाएं चलने लग जाती हैं तो इसको हीट वेव कहते हैं. जिन इलाकों में लू चल रही है और वहां कोई व्यक्ति कई घंटों तक बाहर रहता है तो वह लू की चपेट में आ सकता है. इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. लू लगने के बाद तेज सिरदर्द होता है और इसके साथ चक्कर आने लगती हैं. अगर इन लक्षणों के दिखने पर समय पर इलाज न हो तो लू मौत का कारण बन सकती है.
लू कैसे है बिगाड़ देती है सेहत?
जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक गर्म तापमान में रहता है तो इससे शरीर के तापमान को मेंटेन करने के लिए बॉडी को अधिक ब्लड पंप करना पड़ता है. इस दौरान बीपी को भी मेंटेन करना पड़ता है. इस वजह से हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है. इस दौरान कुछ लोगों में हार्ट बीट प्रति मिनट 110 की दर को पार कर जाती है. हार्ट बीट के अचानक तेजी से बढ़ती है और ये देर तक रहे हैं तो यह हार्ट फेल का कारण बन सकता है. इसकी शुरुआत चक्कर और उल्टी आने से होती है. व्यक्ति बेहोश होकर गिर जाता है. उसकी नब्ज डाउन हो जाती हैं और कई मामलों में बल्ड की सप्लाई ब्रेन तक नहीं हो पाती है, जो मौत का कारण बनता है.
किडनी पर भी पड़ता है असर
कुछ लोगों में हीट वेव के कारण किडनी भी फेल हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादा तापमान की वजह से अधिक पसीना निकलता है और शरीर में पानी की कमी होने लगती है. अगर इस दौरान कोई व्यक्ति प्यासा रहता है और पानी नहीं पीता है तो किडनी के फंक्शन पर असर पड़ने लग जाता है. कुछ मामलों में इसका असर किडनी पर पड़ता है.
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