बोतल बनाने में इस्तेमाल कैमिकल हमारे शरीर में प्रवेश कर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।आप भी बोतल बंद पानी पीते हैं तो खबरदार ! हो सकते हैं कई खतरनाक बीमारियों के शिकार।
पानी के बिना कुछ पल भी रहना आपके स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अक्सर हम और आप बोतलबंद पानी के अपने गले को तर करने के बारे में सोचते हैं। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो, सावधान! क्योंकि आपकी यही सोच आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
ज्ञात हो कि पानी की बोतलों का निर्माण बिसफेनोल नामक घातक केमिकल से किया जाता है। बोतल बनाने में इस्तेमाल कैमिकल हमारेशरीर में प्रवेश कर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है। पानी की बोतलोंका इस्तेमाल अब शहर में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग कर रहेहैं। दूसरी ओर पानी की यह छोटी बोतलें पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर डालरही है। पानी का सेवन करने के बाद इन खाली बोतलों को लोग इधर-उधर फेंक देतेहैं। पानी की निकासी के लिए बनाई गई नालियों समेत शहरों में सीवरेज लाइनेंभी इन बोतलों के कारण बंद हो रही हैं।
पेट की बीमारियों का खतरा
बोतल में बंद पानी के सेवन से बीपीए नाम का केमिकल पेट में पहुंचने पर पाचन क्रिया प्रभावित होती है इससे खाना हजम नहीं होता है। व्यक्ति को कब्ज वपेट में गैस की समस्या घेर लेती है।
ब्रेन के लिए घातक
प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी के सेवन से दिमाग के काम करने की शक्ति कम हो जातीहै। समझने व किसी बात को याद रखने में व्यक्ति को परेशानी रहती है। कैंसरहोने का खतरा धूप या अधिक तापमान से जब बोतल का पानी गर्म होता है तो इसके बनाने में इस्तेमाल केमिकल पानी में घुल कर हमारे शरीर के सेल्स पर बुरा प्रभाव डालता है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भपात का खतरा
बोतल का पानी पीने वाली अधिकतर महिलाओं को गर्भ ठहरने में परेशानी आती है। जबकि पुरुषों के स्पर्म काउंट को भी बोतल में बंद पानी कम करता है प्लास्टिक की बोतल कोबनाने में केमिकल का प्रयोग किया जाता है। गर्म होने पर जब पानी का सेवन करते हैं तो केमिकल के तत्व पानी में घुलने से शरीर में पहुंच जाते हैं। इससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
बोतल पुरानी होने पर भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। कब्ज, पेट गैस, कैंसर समेत अन्य बीमारियां बोतल बंद पानी के सेवन से होती हैं
अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी की एक शोध रिपोर्ट में इसकादावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि दुनियाभर से लिए गए बोतलबंद पानी के 93 फीसद नमूनों में प्लास्टिक के कण पाए गए। भारत में नई दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और पटना समेत 19 जगहों से लिए गए सैंपल की भी जांच की गई। जिन बड़े ब्रांड के सैंपल की जांच की गई उनमें भी 5000 से अधिक माइक्रोप्लास्टिक कणमिले। शोधकर्ताओं के अनुसार, स्पेक्ट्रोस्कोपिक जांच के दौरान एक लीटर पानीकी बोतल में औसत रूप से 10.4 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए।
क्वॉलिटी की जांच है जरूरी
वैसे तो हम सभी लोग पानी के लिए बोतल या खाना रखने के लिए प्लास्टिक लंच बॉक्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या कभी हमने उन्हें पलटकर देखा है कि उनके पीछे क्या लिखा है? क्या इस पर कोई सिंबल तो नहीं बना हुआ है? दरअसल, अच्छी क्वॉलिटी केप्रोडक्ट पर सिंबल्स का होना जरूरी है। यह मार्क ब्यूरो ऑफ इंडियनस्टैंडर्ड जारी करता है और इससे पता लगता है कि प्रोडक्ट की क्वॉलिटी अच्छीहै। इन सिंबल्स (क्लॉकवाइज ऐरो के ट्राइएंगल्स) को रीजन आइडेंटिफिकेशन कोडसिस्टम कहते हैं। इन ट्राइएंगल्स के बीच में कुछ नंबर्स भी होते हैं। इननंबरों से ही पता चलता है कि आपके हाथ में जो प्रोडक्ट है, वह किस तरह केप्लास्टिक से बना है।
Comments (0)