यह नई खोज कैंसर के इलाज में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है. अगर इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू किया गया, तो लाखों लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है. हालांकि, यह ट्रायल भी शुरुआती चरणों में है. लेकिन इसने कैंसर से बचाव में उम्मीद की किरण जगाई है.
कैंसर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है. समय रहते कैंसर की पहचान कर ली जाए तो इलाज संभव है, लेकिन यह ऐसी बीमारी है, जिसकी शुरुआती पहचान जल्दी नहीं हो पाती है. ऐसे में मरीज कब फोर्थ स्टेज में पहुंचा जाता है यह पता नहीं चल पाता है. अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक खोजी है, जिससे कैंसर का पता इसके लक्षण दिखने से करीब तीन साल पहले ही लगाया जा सकता है. यह रिसर्च अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में हुई है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अब कैंसर की पहचान 36 महीने पहले ही कर ली जाएगी. इससे कैंसर के मरीजों का इलाज करने में सुविधा होगी. बीमारी का समय से पहले पता चलने से इसको शुरुआती दौर में ही ठीक किया जा सकेगा. हालांकिअभी यह रिसर्च शुरुआती दौर में है, लेकिन इससे कैंसर से बचाव में उम्मीद की किरण जगी है.
यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल Cancer Discovery में प्रकाशित हुआ है. इसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने खून में मौजूद जीन में हुए बदलावों को पहचानने का एक तरीका खोजा है, जो यह बता सकता है कि व्यक्ति को भविष्य में कैंसर हो सकता है या नहीं. इस तकनीक को MCED टेस्ट कहा गया है.
क्या है MCED टेस्ट?
MCED टेस्ट एक तरह का एक्सपेरिमेंटल ब्लड टेस्ट है, जिसमें खून में मौजूद डीएनए, आरएनए या प्रोटीन के जरिए यह जांच की जाती है कि शरीर में किसी भी प्रकार के कैंसर के संकेत मौजूद हैं या नहीं. इस टेस्ट की खास बात यह है कि यह एक साथ कई प्रकार के कैंसर की पहचान कर सकता है, जो पारंपरिक टेस्ट से संभव नहीं हो पाता.
क्लिनिकल ट्रायल जारी
शोध की चीफ का कहना है कि यह नतीजे वैज्ञानिकों के लिए भी हैरान करने वाले थे. अगर कैंसर का पता तीन साल पहले लग जाए, तो यह रोग शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है, जिससे इलाज की संभावना और सफलता दोनों बढ़ जाती हैं.हालांकि, यह अभी शुरुआती चरण हैं, क्लिनिकल ट्रायल जारी है. उम्मीद की जा रही है कि आगे इसे और आसान बनाया जा सकता है.
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