इस साल बेहतर बारिश हो रही है.गर्मी से परेशान लोगों को भी राहत मिल गई है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मौसम में मलेरिया के खतरे की चेतावनी दी है. वही WHO ने कहा है कि, बारिश के मौसम में मलेरिया का खतरा बढ़ सकता है. यह समय मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लिए सबसे मुफीद होता है. इस दौरान इनके बिहेवियर और सर्वाइवल दोनों में तेजी से बदलाव आते हैं.इसलिए जरूरी है कि सावधानी बरती जाए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल लगभग 30 से 50 करोड़ मलेरिया के केस दर्ज होते हैं,इनमें करीब 6 से 8 लाख लोगों की मौत होती है.कुल मामलों में लगभग 90% केस अफ्रीकी देशों के होते हैं.... अगर सिर्फ दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत की स्थिति भी कमोबेश अफ्रीकी देशों जैसी है
मलेरिया क्या है?
मलेरिया एक गंभीर बीमारी है.जो पैरासाइट से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है. इस पैरासाइट को सभी मच्छर नहीं फैला सकते हैं. इसके लिए सिर्फ मादा एनाफिलिस मच्छर जिम्मेदार है.जब ये मच्छर हमें काटते हैं तो हमारे शरीर में पैरासाइट छोड़ देते हैं.दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. बॉबी दीवान कहते हैं कि पैरासाइट हमारे शरीर में जाने के बाद लिवर में पहुंच जाते हैं. जहां वे मैच्योर हो जाते हैं. कुछ दिन बाद ये मैच्योर पैरासाइट ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर जाते हैं और रेड ब्लड सेल्स को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं.आमतौर पर मच्छर के काटने के पहले हफ्ते से लेकर एक महीने के भीतर मलेरिया के सिंप्टम्स समाने आ सकते हैं.लेकिन कुछ मामलों में किसी भी तरह के सिंप्टम्स नजर नहीं आते हैं और ये पैरासाइट उस दौरान भी हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते रहते हैं.कितने तरह का होता है मलेरिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 5 तरह के पैरासाइट इंसानों में मलेरिया का कारण बनते हैं...प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (P. falciparum)
प्लाज्मोडियम मलेरिया (P. malariae)
प्लाज्मोडियम विवैक्स (P. vivax)
प्लाज्मोडियम ओवले (P. ovale)
प्लाज्मोडियम नोलेसी (P. knowlesi)
इनमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम विवैक्स ज्यादा खतरनाक होते हैं... अगर मलेरिया के लिए इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएंगे तो वे अक्सर इसे शॉर्ट फॉर्म में PV मलेरिया, PF मलेरिया बोलते हैं.... अगर प्लाज्मोडियम विवैक्स या प्लाज्मोडियम ओवले के कारण मलेरिया हुआ है तो इसका असर तुरंत नहीं दिखता है... ये हमारे लिवर में जाकर आराम से रहते हैं... वहां मैच्योर हो जाते हैं, तब शरीर पर हमला करते हैं... हालांकि ऐसे मलेरिया के केस कम ही मिलते हैं...
मलेरिया से बचने के उपाय?
मलेरिया में सबसे बड़ा रिस्क ये है कि आप यह नहीं पहचान सकते हैं कि कौन सा मच्छर मलेरिया फैलाने वाला पैरासाइट लेकर आ रहा है.अगर किसी ऐसी जगह पर हैं, जहां मच्छर ज्यादा हैं तो जरूरी है कि हम इनसे बचाव करें.ये उपाय कर सकते हैं
त्वचा पर डायथाइलटोल्यूमाइड (DEET) के साथ एंटी मॉस्क्यूटो क्रीम लगाएं, मच्छर इसकी गंध से शरीर पर नहीं बैठेंगे, सोने से पहले बिस्तर पर मच्छरदानी लगाएं, ताकि मच्छर आपके आसपास न आ सकें, खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं, ताकि घर में आप सुकून से रह सकें, इससे घर में छोटे बच्चे भी सुरक्षित हो जाते हैं... कपड़े, मच्छरदानी, तंबू, स्लीपिंग बैग और अन्य कपड़ों पर इंसेक्ट रेपेलेंट इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर कहीं छिपकर न रह सकें, हमारी स्किन ढंकी रहे, इसके लिए फुल पैंट और पूरी आस्तीन वाली शर्ट पहनें और घर के आसपास कहीं पानी न जमा होने देंसाभार: नीलिमा सिंह
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