समय के साथ बच्चों में बढ़ते मोटापे की समस्या को स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद गंभीर मानते हैं। बचपन के मोटापे को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारक के तौर पर जाना जाता है। मोटापा से ग्रस्त बच्चों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल विकसित होने का जोखिम अधिक होता है।
समय के साथ बच्चों में बढ़ते मोटापे की समस्या को स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेहद गंभीर मानते हैं। बचपन के मोटापे को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारक के तौर पर जाना जाता है। मोटापा से ग्रस्त बच्चों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। यह स्थितियां सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को भी बढ़ा देती है। इसके कारण आत्मसम्मान में कमी और गंभीर स्थितियों में अवसाद तक की समस्या हो सकती है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह देते हैं।
बचपन में मोटापा विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं। जीवनशैली औरखान-पान की गड़बड़ी को इसके प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता है। अगर समय रहते मोटापे की समस्या को कंट्रोल न किया जाए तो कम उम्र में ही यह कई तरह की बीमारियों के विकसित होने का जोखिम बढ़ा सकता है।
बच्चों में मोटापा बढ़ाने वाले कारकों को समझते हुए उससे बचाव करते रहना आवश्यक होता है। यह बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि किन कारणों से बच्चों में मोटापे का खतरा विकसित हो सकता है?
आहार संबंधित समस्याएं
आहार में गड़बड़ी को स्वास्थ्य विशेषज्ञ, मोटापे के सबसे प्रमुख कारकों में से एक मानते हैं। हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ जैसे फास्ट फूड, बेक्ड खाद्य, कैंडीज आदि के अधिक सेवन से आपके बच्चे का वजन बढ़ सकता है। जो बच्चे मीठी चीजों का सेवन अधिक करते हैं, उनमें भी वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है। बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए उनके आहार को लेकर विशेष सतर्कता बरतना बहुत आवश्यक हो जाता है।
शारीरिक निष्क्रियता
जो बच्चे ज्यादा व्यायाम नहीं करते हैं, उनमें भी वजन बढ़ने की आशंका अधिक होती है। शारीरिक निष्क्रियता के कारण सही मात्रा में कैलोरी बर्न नहीं हो पाती है। गतिहीन जीवनशैली की आदतें जैसे मोबाइल फोन्स पर बहुत अधिक समय व्यतीत करना, टेलीविजन देखना या वीडियो गेम खेलना, घर में ही रहने की आदत बच्चों के लिए समस्याओं को बढ़ा सकती है। अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के साथ शारीरिक निष्क्रियता को बड़े खतरे को रूप में देखा जाता है।
बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम
जिन बच्चों का अधिकतर समय मोबाइल-टीवी जैसी स्क्रीन के साथ बीतता है, उनमें भी मोटापा बढ़ने का खतरा अधिक देखा जाता है। बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम नींद विकारों का कारण बनता है जिसके कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो मोटापे की समस्या को बढ़ाने वाला माना जाता है। बच्चों को मोबाइल या किसी भी स्क्रीन से दूर रखने की कोशिश करें।
आनुवांशिक कारक
गड़बड़ आदतों के साथ कुछ बच्चों में आनुवांशिकता के कारण भी वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। यदि माता-पिता में मोटापे की समस्या है तो इसका सीधा असर बच्चों पर भी देखा जा सकता है। इसके अलावा तनावशील माहौल में बढ़ने वाले बच्चों में भी इस समस्या का जोखिम अधिक होता है। सभी माता-पिता को बच्चों में मोटापे के जोखिमों को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
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