हमारे देश में अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह ग्लूकोमा या मोतियाबिंद है। पूरी दुनिया में हर साल 45 लाख लोगों की आंखों की रोशनी इस बीमारी के कारण चली जाती है और जिनमें 20 लाख लोग हिंदुस्तानी होते हैं।
हमारे देश में अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह ग्लूकोमा या मोतियाबिंद है। पूरी दुनिया में हर साल 45 लाख लोगों की आंखों की रोशनी इस बीमारी के कारण चली जाती है और जिनमें 20 लाख लोग हिंदुस्तानी होते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति कितने लापरवाह हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कम से कम 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग ग्लूकोमा या मोतियाबिंद से पीड़ित हैं।
समय पर जांच तो इलाज संभव
अगर समय पर हम अपनी आंखों की जांच कराते रहें, तो ग्लूकोमा के आंखों में पड़ाव डालते ही हम इसे अच्छी तरह से जान-समझ सकते हैं। एक बार पता चल जाए कि हमारी आंखें मोतियाबिंद का शिकार हो रही हैं, तो आसानी से उनका इलाज कराया जा सकता है। ग्लूकोमा या मोतियाबिंद सौ फीसदी ठीक किया जा सकता है।
रोग के कारण
कुछ लोग इस बीमारी को इतना हल्के से लेते हैं कि वे बीच में ही इसका इलाज छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा करने से यह बेहद खतरनाक हो जाती है और आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसलिए ग्लूकोमा या मोतियाबिंद से कतई खिलवाड़ न करें। वहीं मधुमेह और धूम्रपान भी इसका सबसे बड़ा कारण है। यह भी कि अगर आपके खानपान में लगातार विटामिन,ए,सी और ई की कमी है तो भी मोतियाबिंद होने की आशंका बनी रहती है।
बचाव के लिए उपाय
सनग्लास पहनें क्योंकि ये ग्लूकोमा से सुरक्षा प्रदान करते हैं, यूवी-ए और यूवी-बी विकिरण से बचाते हैं। लेकिन आपके सनग्लासेस अच्छी क्वालिटी के हों। वहीं तेज धूप में बाहर निकलने से बचें, जायें भी तो आंखों को धूप के चश्मे और तौलिए से ढककर रखें। साथ ही ऐसा आहार लें जिसमें विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन ए भरपूर हों। रूटीन खानपान में ढेर सारी हरी सब्जियां, गाजर, संतरा, बादाम और मछली भी शामिल करें। जरूरी है कि एंटीऑक्सीडेंट्स का भी सेवन बढ़ाएं।
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