पृथ्वी पर अजीब आकार के जानवरों की कमी नहीं है. इसमें हाथी की कई विशेषताएं ऐसी हैं जो आम लोगों को बहुत अचम्भित करती हैं. इसमें सबसे अनोखा आकर्षण उनकी सूंड होती है. इसका आकार और उपयोग वैज्ञानिकों तक को अचरज में डाल कर रखते हैं. और हाथी की सूंड उनके लिए खास शोध का विषय है. एक अध्ययन में हथियों के विकास की कहानी का खुलासा करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया है कि उनके भोजन की करने की खास आदतों में सूंड की क्या और किस तरह की भूमिका है. ई-लाइफ में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिक ने इस रहस्य से भी पर्दा उठाया हैं कि आखिर इनकी सूंड इतनी लंबी क्यों होती है.
सूंड के विकास की कहानी
हाथी की लंबी नाक जिसे सूंड कहते हैं, उनमें ही पाई जाती है. इसके उनके जीवन में बहुत अहम और अनोखे उपयोग हैं. इसका विकास बहुत लंबे समय में हुआ है और इस विकास में लाखों सालों का समय लगा है. शुरुआत में उनका जबड़ा लंबा हुआ था जो बाद में उनकी सूंड बढ़ने के साथ ही छोटा होता गया.
हाथियों के पूर्वजों का अध्ययन
इस तरह से सूंड का विकास होने शोधकर्ताओं के लिए एक रोचक विषय रहा है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पुराने हाथियों के जैसे जानवरों के समूह पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें प्लैटीबेलोडोन भी शामिल थे जो पृथ्वी पर आरम्भिक से मध्य मियोसिन युग में विचरण किया करते थे.
जलवायु में नाटकीय बदलाव
2.3 करोड़ साल पहले से 50 लाख साल पहले तक के इस युग में दुनिया ने जलवायु ने नाटकीय बदलाव देखे जिससे वैश्विक स्तर पर ठंडे तापमान के दौर देखने को मिले. यह वह समय था जब आधुनिक हाथियों के पूर्वजों में तेजी से बदलाव देखने को मिले और ये बदलाव खास तौर से उनकी नाक की संरचना में देखने को मिले थे.
जबड़े और दातों में बदलाव
इसके साथ ही उनके जबड़े और दातों में भी बदलाव हुए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बदलाव संयोग से अधिक थे. उन्होंने सुझाया कि इन बदलावों के दौरान उनके खाना खाने के तरीका में बहुत बड़े और अहम बदलाव देखने को मिले थे. जैसे जैसे वातावरण में परिवर्तन हुआ, विशाल घास के मैदान सामने आए और इन विशाल जानवरों ने अपने जबड़ों से अधिक अपनी सूंड का अधिक उपयोग करना शुरू कर दिया.
बदलते हालात में बदलाव
इस बदलाव से हाथियों को मौका मिला कि वे नए आवास में पनप सकें जो बदली हुई जलवायु में बने थे. शोध में हाथियों के संबंधियों के जीवन पर खास तौर से अध्ययन किया गया जो उत्तरी चीन में रहा करते थे. कई वैज्ञानिक तकनीक लागू करने पर शोधकर्ताओं ने उनके बर्ताव संबंधी पैटर्न और जीवनचर्या के अनुकूलन की आदतों को जोड़ कर देखा.
.
Comments (0)