2 अक्टूबर एक तारीख़ जो हम सब भारतीयों के लिए किसी शुभ अवसर और तीज-त्यौहार से कम नहीं है क्योंकि यही वो दिन था जब देश के सबसे बड़े नायकों में से दो मोहनदास करमचंद गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का जन्म हुआ।
एक समृद्ध परिवार में पैदा हुए मोहनदास करमचंद गांधी ने गौतम बुद्ध की तरह अपने सुख-सुविधा भरे जीवन को त्यागकर देश और देशवासियों के लिए काम किया और साथ ही दुनियां को एक नए विचार से परिचित करवाया कि अहिंसा से बड़ी कोई शक्ति नहीं है, दुनियां की सबसे बड़ी ताकत से भी हम जीत सकते हैं बिना अपने लोगों को युद्धरूपी काल मे झोंककर और इसीलिए 'अहिंसा परमोधर्मः' उन्होंने दुनियां को एक संदेश भी दिया जो काल के हर पहर में अमर रहेगा ठीक महात्मा गांधी उर्फ़ 'बापू' की तरह।
पाप से घृणा करो, पापी से नहीं
श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास, और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास
हम जिसकी पूजा करते हैं, उसके जैसे हो जाते हैं
दुनियां में सबसे बड़ी लड़ाई खुद के भीतर छुपे डर, लोभ और असुरक्षाओं से लड़ना है
इंसान अपने विचारों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है
महात्मा गांधी को युग कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने 'महात्मा' की उपाधि दी.. इससे पहले 1915 में वैद्य जीवनराम कालिदास ने भी उन्हें 'महात्मा' कहकर बुलाया था... दुनियां के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को इस बात पर यकीन करना मुश्किल होगा कि हाड़-मांस से बना गांधी जैसा व्यक्ति कभी धरती पर आया था।...
अंतराष्ट्रीय संगठनों ने महात्मा गांधी के विचारों और समाज मे उनके योगदान के सम्मान में 2 अक्टूबर को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया...
सादा जीवन उच्च विचार को परिलक्षित करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण संदेश दिए जैसे-
कमज़ोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है
धैर्य का एक छोट्स हिस्सा भी एक टन उपदेश से अच्छा है
गौरव लक्ष्य के लिए प्यासरत होने में है नाकि उसे पाने में
अहिंसक व्यक्ति कभी किसी को शारीरिक और मानसिक नुकसान नहीं पहुंचता है
जो पवित्र है, वो निडर है
प्रेम ही जीवन है
ईश्वर का कोई धर्म नहीं होता है
सत्य और अहिंसा का रास्ता ही अमर है
महात्मा गांधी की कही हर एक बात कल, आज और कल के लिए उतनी ही सार्थक और आवश्यक है जितनी कि किसी भी दौर के लिए गीता का दर्शन...
देश की आज़ादी के लिए हज़ारों-लाखों सेनानियों ने अपना अतुल्य योगदान दिया... जिनमें ज़्यादातर महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रभावित थे... 4जून 1944 को सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को देश के लिए लड़ रहे सभी सेनानियों के पिता कहकर संबोधित किया... जिसे बाद में भारत सरकार ने 'राष्ट्रपिता' के नाम से मान्यता दे दी।...
महात्मा गांधी के नेतृत्व में किए गए मुख्य आंदोलन -
1917 में चंपारण आंदोलन
1918 में खेड़ा आंदोलन
1919 में खिलाफआंदोलन
1920 में असहयोग आंदोलन
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन।
महात्मा गांधी के जीवन को और उनके विचारों कुछ क़िताबों और फिल्मों में सीखने की कोशिश की गई है जैसे कि -
किताबें -
1. महात्मा गांधी (1951)
2. सत्य के प्रयोग (1929)
3. इंडियन होम रूल (1909)
4. द वर्ड्स ऑफ गांधी (1982)
5. मेरे सपनों का भारत (1947)
फिल्में -
1. नाइन ऑवर्स टू रामा (1963)
2. गांधी (1982)
3. द मेकिंग ऑफ महात्मा गांधी (1996)
4. हे राम (2000)
5. गांधी माय फादर (2007)
आज के समय में जब देश अपनी छोटी-बड़ी तमाम ज़रूरतों के लिए दुनियां के अलग-अलग देशों पर निर्भर है, ऐसे समय में हम गांधी जी के नारे "स्वदेशी अपनाओ" से प्रेरित होकर न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं बल्कि देश के युवाओं को बेरोजगारी से भी मुक्त कर सकते हैं। इसके साथ ही 'महात्मा गांधी' की आध्यात्मिक वैचारिकी को अपनाकर अपनी आने वाली पीढ़ियों को डिप्रेशन जैसी आधुनिक बीमारी से भी बचा सकते हैं।
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