लेखक- सुनील श्रीवास्तव एडिटर इन चीफ IND24
मध्यप्रदेश में तीसरे मोर्चे के नाम पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के ही विधायक है। 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का एक और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक थे। तीसरे मोर्चे के ये विधायक कुछ दिन पहले ही सत्तारूढ़ दल भाजपा में शामिल हो गए। मध्यप्रदेश में हमेशा से ही तीसरा मोर्चा अपना प्रभाव जमाने के लिय सियासी दांवपेंच चलता रहा है, लेकिन उसे आशातीत सफलता नहीं मिली। बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के अलावा शरद पवार की पार्टी एनसीपी, शिवसेना, जनता दल, आरजेडी, एलजेडी, भारतीय जनशक्ति पार्टी समेत कई पार्टियों ने अपनी राजनैतिक बिसात बिछाई, लेकिन वो सफलता हासिल नहीं कर सकी। मध्यप्रदेश में हमेशा से ही तीसरे मोर्चे का विकल्प खुला रहा और जनता सत्तापक्ष और विपक्ष की वादाखिलाफी से दुःखी होकर भी किसी तीसरे पर भरोसा नहीं जता पाई। कई बार तीसरे मोर्चे की दस्तक से सियासी में उबाल तो आया, लेकिन चुनावी नतीजों ने इसे शांत कर दिया।
चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस के अलावा करीब एक दर्जन राजनीतिक दल सक्रिय होते हैं और चुनाव के बाद अपना बोरिया बिस्तर बांधकर चल देते हैं। फिर उनको मध्यप्रदेश के लोगों की समस्याओं से कोई ज्यादा सरोकार नहीं रहता। वह सिर्फ अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक्का-दुक्का धरना-प्रदर्शन या विरोध करके अपना काम पूरा समझ लेते हैं। मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का संगठन लगभग खत्म होने की कगार पर है। इन पार्टियों की सक्रियता भी नगण्य होती जा रही है। इन दोनों पार्टियों के इतर कांग्रेस से जनता की नाराजगी भी सामने है। मध्यप्रदेश में राजनीतिक वैक्यूम बना हुआ है। जिसे खत्म करने के लिए आम आदमी पार्टी लगातार कोशिश कर रही है। दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश आसमान पर है और मध्यप्रदेश में उन्हें राजनीतिक भविष्य नजर आ रहा है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव में पूरे मध्यप्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल चुनाव के एक साल पहले से ही मध्यप्रदेश में सक्रिय होने वाले हैं। वो 2 जुलाई को मध्यप्रदेश के सिंगरौली से नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार करने आ रहे हैं। सिंगरौली आम आदमी पार्टी के लिहाज से बेहद अहम सीट है। 2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को यहां बहुत अच्छे वोट मिले थे और पार्टी प्रत्याशी बहुत कम वोटों के अंतर से चुनाव हारे थे। इसके अलावा एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी मध्यप्रदेश की सियासी जमीन अपनी पार्टी के लिए उपजाऊ नजर आ रही है। नगरीय निकाय चुनाव प्रचार में भोपाल पहुंचे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इस चुनाव में दलित, आदिवासी और मुस्लिम चेहरे ओवैसी की पार्टी का मुख्य आधार होंगे। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मध्यप्रदेश के निकाय चुनाव में कुछ पार्षद प्रत्याशी मैदान में उतारे है। खास बात ये है कि ओवैसी ने ये प्रत्याशी अधिकाशतः मुस्लिम इलाकों में ही उतारे है। मध्यप्रदेश कांग्रेस लगातार ओवैसी को भाजपा की बी टीम बता रही है।
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कांग्रेस का कहना है कि ओवैसी ने जिन वार्डों में अपने उम्मीदवार उतारे है, उनमें से अधिकांश वार्डों में कांग्रेस के ही पार्षद थे। मुस्लिम चेहरों को उतारकर ओवैसी कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। निकाय चुनाव से ओवैसी मध्यप्रदेश को सियासी नब्ज टटोल रहे हैं और इसी बहाने ओवैसी अपनी पार्टी के लिए मध्यप्रदेश में सियासी जमीन भी तलाश रहे हैं।
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