साल 2024 सबको अलग-अलग वजह से याद रहेगा। वहीं देश की बात करे तो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का इस दुनिया से जाना, देशभर के लिए एक दुखद याद बनकर रहेगी।
साल 2024 सबको अलग-अलग वजह से याद रहेगा। वहीं देश की बात करे तो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का इस दुनिया से जाना, देशभर के लिए एक दुखद याद बनकर रहेगी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए, जिनकी वजह से देश आगे तो बढ़ा ही और आज भी उन कामों का फायदा लोगों को मिल रहा है। आइए जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह के 5 ऐसे काम, जिन्हें देश कभी नहीं भुला पाएगा।
मनरेगा योजना
साल 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह ने पीएम पद की शपथ ली। भारत में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए सबसे पहले उन्होनें साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा लागू किया। हांलाकि बाद में इस योजना का नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा हो गया। इस कानून के तहत देशभर के गांवों में रहने वाले सभी परिवारों के एक सदस्य को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी दी जाती है। अगर लोगों को 100 दिन का काम नहीं दिया जाता तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। इस फैसले से ग्रामीण इलाकों में गरीबी तो कम हुई ही साथ ही शहरों की ओर पलायन भी कम हुआ।
भारत अमेरिका परमाणु समझौता
बात करते हैं साल 2008 की जहां भारत और अमेरीका के बीच परमाणु बम को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते से भारत और अमेरिका के रिस्तों ने एक ऐतिहासिक मोड लिए। इस समझौते से भारत को अपनी ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु तकनीक और ईंधन मिलने का रास्ता खुल गया। वहीं इस फैसले के बाद NSG यानी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ने भारत को विशेष छुट दी। जिसकी मदद से भारत ने फ्रांस, रूस, कनाडा और जापान समेत कई देशों के साथ परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर किए। हांलाकि कि ये समझौता इतना आसान नहीं था। इस समझौते ने मनमोहन सिंह सरकार के सामने एक संकट खड़ा कर दिया था। क्योंकि वामपंथी दलों ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई और सरकार से समर्थन वापस ले लिया। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ और समाजवादी पार्टी के सहयोग से मनमोहन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव जीतने में कामयाब हासिल की थी।
इकोनॉमी को बुरे दौर में संभाला
2008 में भारत ने परमाणु बम को लेकर समझौते पर साइन किया। इस समय देश में आर्थिक तबाही मची हुई थी। हर कोने से शेयर बाज़ारों के गर्त छूने की ख़बरें आ रही थीं। भारत का भी कुछ ऐसा ही हाल था। निवेशकों के लाखों करोड़ों रुपये हर रोज हवा हो रहे थे। कंपनियां बड़े पैमाने पर लोगों की छटियां कर रही थी। जब लगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी, तभी मनमोहन सरकार ने अपनी सूझबूझ से हालात संभालना शुरू कर दिया और ये सिलसिला ऐसा चला कि भारत इस आर्थिक मंदी की चपेट में आने से बच गया।
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