5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य की स्थिति अजीबो-गरीब थी. भारत सरकार ने इस दिन राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था. इस एक कानून के खत्म होने के बाद एक झटके में काफी चीजें बदल गई थीं. भारत सरकार के इस फैसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी. अब जम्मू-कश्मीर भारत के अन्य राज्यों की तरह है. अब वहां कुछ भी स्पेशल नहीं है. संविधान के इस प्रावधान को हटाए जाने के बाद काफी कुछ बदल गया है. सबसे ज्यादा बदलाव वहां राज्य में रहने वाले करीब 20 हजार परिवारों की जिंदगी में आया है. ये बीते 75 साल से दोयम दर्जे की जिंदगी जी रहे थे. यहां विडंबना देखिए कि ये लोग भारत सरकार के नागरिक थे, लेकिन 5 अगस्त 2019 से पहले की जम्मू-कश्मीर की सरकार इन्हें अपना नागरिक नहीं मानती थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सबसे ज्यादा रोशनी इनकी ही जिंदगी में आई है.
विस्थापितों को वोटिंग राइट
दरअसल, दोयम दर्जे की जिंदगी जी रहे जिन लोगों की ऊपर के पैराग्राफ में हम बात कर रहे थे वे लोग यही हैं. ये बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से आए हिंदू परिवार हैं. ये लोग पाकिस्तान से आकर जम्मू क्षेत्र के कठुआ और संबा जिलों में बस गए. भारत सरकार के गृह मंत्रालय के मुताबिक ये कुल 5746 परिवार थे. लेकिन, समुदाय के नेताओं का दावा है कि वे करीब 20 हजार परिवार हैं. इनके साथ विडंबना यह है कि भारत सरकार ने इन्हें भारत का नागरिक स्वीकार कर लिया था, लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर सरकार को भी इन्हें अलग से नागरिकता देनी थी. मगर, उसने उन्हें नागरिकता नहीं दी. ऐसे में भारत सरकार के नागरिक होने के कारण वह लोकसभा के चुनाव में वोट डालते थे लेकिन विधानसभा चुनाव में उनके पास वोटिंग राइट नहीं थी.
अनुच्छेद 370 अप्रभावी होने के कारण जम्मू-कश्मीर देश के अन्य राज्यों की तरह हो गया है और पाकिस्तान से आए ये परिवार भी अन्य भारतीयों की तरह हो गए हैं. उन्हें भारत के साथ नागरिक को मिलने वाली हर एक सुविधा और अधिकार मिलेंगे.
कश्मीरी पंडितों को आरक्षण
अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद भारत सरकार ने संसद में एक विधेयक पेश किया है जिसमें आतंकवाद की वजह से घाटी से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए दो विधानसभा सीटें आरक्षित की गई हैं. इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए एक सीट रिजर्व रखने की बात कही गई है.
बदलेगी विधानसभा की तस्वीर
अनुच्छेद 370 करने के साथ भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. लद्दाख को बिना सदन वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में सदन की व्यवस्था की गई थी. हालांकि अभी तक राज्य में चुनाव नहीं हुए हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि वह आने वाले दिनों में फिर से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर देगी.
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