मैग्डलेन मैरी को क्राइस्ट की सबसे नजदीकी और विश्वासपात्र कहा जाता है.
मैरी मैग्डलेन, उसे बाइबल की सबसे रहस्यमय स्त्री माना जाता है. पिछले कुछ दशकों में क्राइस्ट और मैरी मैग्डलेन के संबंधों पर खूब लिखा गया है. किताबें प्रकाशित हुई हैं. फिल्में बनी हैं. जिसमे ये कहा गया है कि दरअसर मैरी वो शख्स थीं, जो यीशु मसीह की सबसे करीबी शिष्य थीं. हमेशा उनके साथ होती थीं. दोनों में बहुत अंतरंग रिश्ता था. दा विंची कोड तो कहती है कि मैग्डलेन केवल क्राइस्ट की शिष्या नहीं बल्कि बीवी और कई बच्चों की मां भी थीं.
मैरी मैग्डलेन को यीशु के शुरुआती अनुयायियों में एक माना जाता है. बाइबल कहती है, वह लगातार उनके साथ रही. उसने उनके साथ यात्राएं कीं. उन्हें सूली पर चढ़ते देखा और उनकी सबसे करीबी रही. सदियों से चर्च के लोगों और विद्वानों से लेकर उपन्यासकारों और फिल्म निर्माताओं तक सभी ने मैरी मैग्डलेन की कहानी को अपने अपने तरीके से लिखा और दिखाया.
यीशु की भरोसेमंद साथी के रूप में
शुरुआती ईसाई ग्रंथों में मैरी मैग्डलेन को केवल एक अनुयायी नहीं, बल्कि यीशु की भरोसेमंद साथी के रूप में दिखाया गया - इसी वजह से उसे उनकी पत्नी भी माना गया. वैसे मैरी मैगडलेन बाइबल की सबसे रहस्यमयी महिला जरूर है. बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की किताबों ने यीशु के सूली पर चढ़ने के समय मैरी मैग्डलेन की मौजूदगी का उल्लेख किया. इसके अनुसार मैरी यीशु और उनके 12 शिष्यों के साथ यात्रा करती थीं. दरअसल मैरी जिस जगह से आईं थीं, उसका नाम मैग्डेला था, जो अब उत्तरी इजरायल में है. इसी वजह से उन्हें मैरी मैग्डलेन कहा जाने लगा. मैरी का नाम गॉस्पेल में भी था.
मैरी यीशु के सारे रहस्यों को जानती थी
यीशु के क्रूस पर चढ़ने के बाद उनके पुरुष शिष्य तो भाग गए लेकिन मैरी लगातार वहां जाती रहीं. उन्होंने ही लोगों को ये बताया कि यीशु दोबारा जिंदा हो गए. केवल मैरी ही थीं, जिन्हें जीवित होने के बाद यीशु ना केवल नजर आए बल्कि उनसे मिले भी. कहा जाता है कि क्राइस्ट ने उन्हें इतना ताकतवर बना दिया था कि बाद में कुछ पुरुष इससे असहज हो गए और उन्हें हल्का करने की कोशिश की. इसी वजह से उन्हें वेश्या तक बता दिया गया.
ये भी कहा गया कि मैरी यीशु के सारे रहस्यों को जानती थी. इसे लेकर बाद में कई फिल्में भी बनीं. दरअसल इस पूरे मामले पर चर्चाएं तब शुरू हुईं जबकि प्रारंभिक ईसाई ग्रंथों का एक संग्रह, ग्नोस्टिक गॉस्पेल , 1945 में उत्तरी मिस्र के नाग हम्मादी शहर के पास खोजा गया. कई विद्वानों का तर्क है कि खोजे गए ये ग्रंथ वास्तव में बाइबिल के पूरक हैं. करीब 52 सुसमाचार ग्रंथ एक सीलबंद जार में पाए गए, जिन्हें 13 चमड़े से बंधे बंडल (पीपरस) में एकत्र किया गया था, जिसे 'नाग हम्मादी पुस्तकालय' कहा जाता था.
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