सुनील श्रीवास्तव
प्रधान संपादक, IND24
मध्यप्रदेश की सियासत साल 2018 के बाद से बदली-बदली नजर आ रही है। जब भी सूबे में विधायकों की वोटिंग की नौबत आती है। उन्हें खरीदने सियासी घोड़े दौड़ जाते हैं। हर उस मौके पर जहां विधायकों के वोट का महत्व होता है। हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप सूबे की सियासी फिजा में घुल जाते हैं। 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ समय बाद से ही विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार गिराने जैसे बयान कई दफा मध्यप्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं के मुंह जुबानी आने शुरू हो गए थे। डेढ़ साल की कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने से औंधे मुंह गिर गई और समय का पहिया ऐसा घूमा की सूबे की सत्ता पर फिर भाजपा काबिज हो गई।
कमलनाथ सरकार के समय भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने कांग्रेस के पक्ष में वोट देकर क्रॉस वोटिंग भी की थी। जिस पर मौजूदा सरकार के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की जमकर तारीफ की और उन्हें सियासत का चाणक्य तक करार दे दिया था, लेकिन कमलनाथ की ये चाणक्य नीति मध्यप्रदेश की सियासत में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। डेढ़ साल में सरकार का गिरना, कहीं न कहीं कमलनाथ की लंबी सियासी पारी को कठघरे में खड़ा कर गया। कांग्रेस का कुनबा टूटने का सिलसिला जो उस वक़्त शुरू हुआ था, वो चुनाव दर चुनाव जारी रहा। कोई उपचुनाव में हाथ छोड़ गया, तो कोई मौका देखकर कमलमयी हो गया। अब एक बार फिर मध्यप्रदेश में विधायकों की खरीद-फरोख्त का जिन्न बोतल से बाहर आया है। मौका है देश के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति के चुनाव का। मध्यप्रदेश में समर्थन मांगने आये विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के गंभीर आरोप लगा दिए।
यशवंत सिन्हा ने तो कांग्रेस के आदिवासी विधायकों के प्रलोभन देकर वोट करने के आरोप लगाए। कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेडा और उमंग सिंघार ने इन आरोपों पर खुद मुहर लगाते हुए कहा कि उनके पास भाजपा से ऑफर आये हैं, पैसे और पद का प्रलोभन दिया जा रहा है। वहीं सरकार के प्रवक्ता और मध्यप्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के आरोप का खंडन करते हुए उल्टा उस पर ही हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को खुद के विधायकों पर ही भरोसा नहीं है। मिश्रा ने कहा कि पूरा देश और दुनिया जानती है कि एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीत रही है उन्हें किसी के वोट की जरूरत नहीं है।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से भी द्रौपदी मुर्मू को वोट देने की अपील की है। राष्ट्रपति चुनाव ने मध्यप्रदेश कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। कांग्रेस का टूटता कुनबा सहेजकर रखना कमलनाथ के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं 2023 से पहले अगर कांग्रेस को और झटके लगे तो कहीं न कहीं सूबे में कांग्रेस का ग्राफ तो गिरेगा ही, कमलनाथ की साख पर भी सवाल उठेंगे।
ये भी पढ़े- विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का बीजेपी पर गंभीर आरोप
Comments (0)