22 जनवरी 2024 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। क्योंकि इसी दिन अयोध्या के श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
22 जनवरी को होगी प्राण-प्रतिष्ठा
नए मंदिर में रामलला की मूर्ति का अभिजीत मुहूर्त में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम है। 22 जनवरी की दोपहर 12:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा होगी। राम मंदिर की डिजाइन से लेकर स्ट्रक्चर की हर कोई तारीफ कर रहा है। इसकी खासियत भी जानने के लिए लोग उत्सुक हैं। राम मंदिर की डिजाइन गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने की है। सोमपुरा परिवार की 15 पीढ़ियां मंदिरों के डिजाइन का काम करती आ रही हैं। करीब 30 साल पहले चंद्रकांत सोमपुरा ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान डिजाइन तैयार कर लिया था। हालांकि, बाद में इसमें कुछ बदलाव किए गए और मंदिर का नया रूप दिया गया है।सीधे त्रेतायुग से जुड़ाव महसूस करेंगे लोग
राम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि परिसर में भगवान राम (Ayodhya Ram Mandir) के मंदिर के साथ ही 7 अन्य मंदिर भी बनाए जा रहे हैं। महर्षि वाल्मिकी मंदिर, महर्षि वशिष्ठ मंदिर, महर्षि विश्वामित्र मंदिर, महर्षि अगस्त्य मंदिर, निषाद राज, माता शबरी, देवी अहिल्या मंदिर लोगों को सीधे त्रेतायुग से जुड़ाव महसूस कराएंगे। मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाएगा। मंदिर का निर्माण पूरी तरह भारतीय परंपरानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।जानिए मंदिर डिजायन के बारे में 10 खास बातें...
1. मंदिर में पांच मंडप होंगे. इनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप नाम रखा गया।2. ग्राउंड फ्लोर पर गर्भगृह में भगवन श्री राम विराजेंगे। पहली मंजिल पर भगवान राम का पूरा दरबार सजाया जाएगा। खंभों और दीवारों में देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
3. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।
4. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप देखने को मिलेगा। परिसर के चारों कोनों पर सूर्य, भगवती, गणेश और शिव के मंदिर बनेंगे। उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में अन्नपूर्णा और हनुमान जी का मंदिर होगा।
5. महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, अगस्य, निषाद राज, शबरी के मंदिर प्रस्तावित हैं।
6. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे फाउंडेशन को 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे आर्टफिशियल चट्टान का रूप दिया गया है।
7. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
8. कुल 70 एकड़ का पूरा परिसर है. 70 फीसदी हिस्सा हरा-भरा (हरित) होगा। पर्यावरण और जल संरक्षण पर जोर दिया है।
9. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी, दिव्यांगजन और वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
10. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। वहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
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