पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और सैन्य संघर्ष के बाद सीजफायर होने के बावजूद भारत-पाकिस्तान में तनाव जारी है। भारत सरकार ने सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने का फैसला लिया है, जो पाकिस्तान में आतंक को पनाह मिलने की जानकारी दुनिया को देगा। भारत की ओर से इसके लिए सबसे अहम नाम कांग्रेस सांसद शशि थरूर का है। भारत के बाद पाकिस्तान ने भी इसी तरह का डेलीगेशन बनाया है, जो दुनिया में ये कहेगा कि गड़बड़ दरअसल दिल्ली की ओर से हो रही है। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने इसके लिए बिलावल भुट्टो जरदारी को चुना है। दुनिया में बिलावल क्या थरूर जैसा प्रभाव डाल पाएंगे, इस पर पाकिस्तानियों ने ही सवाल उठा दिए हैं।
पाकिस्तानी-अमेरिकन मोइद पीरजादा ने कहा है कि बिलावल का थरूर जैसे दिग्गज के सामने टिक पाना आसान नहीं लगता है। पीरजादा ने अपने यूट्यूब वीडियो में कहा, 'शशि थरूर विदेश नीति के मामले में एक दिग्गज शख्तियत हैं। दिग्गद कई दफा से सांसद हैं और कांग्रेस की सरकार में विदेश मंत्री रह चुके हैं। वह लगातार विदेश मंत्रालय की किसी ना किसी कमेटी से जुड़े रहे हैं। थरूर यूएन में लंबे समय काम कर चुके हैं और कई अहम पदों पर रहे हैं।'
भारत का पक्ष क्या है
भारत सरकार ने सांसदों के डेलीगेशन अलग-अलग देशों में भेजने का फैसला लिया है। इसके पीछे भारत का मकसद दुनिया के सामने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करना है। पहलगाम जैसी घटनाओं के जरिए दुनिया को बताया जाएगा कि कैसे सीमापार से भारत में हमले हो रहे हैं। ये डेलीगेशन भारत की आतंक के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति, पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के सबूत और रुख पेश करेगा।
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