अमेरिका में वीजा लेना अब भारतीयों के लिए महंगा हो गया है। अमेरिकी सरकार ने नॉन-इमिग्रेंट वीजा के लिए एक नई अतिरिक्त फीस लगाने का फैसला किया है, जिससे वीजा की कीमत में करीब 185 डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। यह नया नियम आगामी वित्तीय वर्ष से लागू होगा। अमेरिकी संसद ने हाल ही में "वन बिग ब्यूटीफुल एक्ट" नामक कानून पास किया है। इसके तहत अब सभी नॉन-इमिग्रेंट वीजा आवेदकों को अतिरिक्त 250 डॉलर की वीजा इंटीग्रिटी फीस भी चुकानी होगी। यह फीस मौजूदा वीजा फीस के अलावा लगेगी। मतलब यह हुआ कि अगर पहले वीजा की फीस 185 डॉलर थी, तो अब कुल फीस 435 डॉलर तक पहुंच जाएगी। इस अतिरिक्त शुल्क का उद्देश्य वीजा नियमों का उल्लंघन रोकना और अमेरिका आने वाले प्रवासियों की पहचान सुनिश्चित करना है।
अतिरिक्त फीस वापस पाने का मौका भी मिलेगा
नए नियम में एक राहत की बात यह भी है कि जो आवेदक वीजा मिलने के बाद अमेरिका के नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे और समय पर देश छोड़ देंगे, उन्हें यह अतिरिक्त फीस वापस कर दी जाएगी। इससे सही नियमानुसार रहने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा।
यह बदलाव किन वीजा प्रकारों पर लागू होगा?
अमेरिका में दो प्रकार के वीजा होते हैं — नॉन-इमिग्रेंट वीजा और इमिग्रेंट वीजा। नॉन-इमिग्रेंट वीजा अस्थायी प्रवास के लिए दिया जाता है और इस फीस वृद्धि का असर केवल इन्हीं वीजा पर होगा। इसके मुख्य प्रकारों में B-1/B-2 वीजा शामिल हैं, जो टूरिस्ट, बिजनेस और मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए दिए जाते हैं। इसके अलावा पढ़ाई के लिए F-1 वीजा, नौकरी के लिए H-1B वीजा, एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए J-1 वीजा, और कृषि या अन्य अस्थायी काम के लिए H-2A/H-2B वीजा भी आते हैं। वहीं, इमिग्रेंट वीजा उन लोगों को दिया जाता है जो अमेरिका में स्थायी रूप से रहना चाहते हैं, और इन वीजा की फीस में इस बढ़ोतरी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
इस बदलाव का प्रभाव और आर्थिक भार
भारत सहित उन सभी देशों के लिए यह बदलाव चिंता का विषय होगा जहां से लोग अमेरिका पढ़ाई, काम या पर्यटन के लिए आते हैं। वीजा की फीस में बढ़ोतरी से आवेदकों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। खासकर छात्रों और छोटे व्यवसायियों के लिए यह नया खर्चा चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
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