कनाडा में आज 28 अप्रैल सोमवार को होने वाले चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहे हैं। लोकतंत्र के अध्येताओं ने ऐसे चुनाव शायद ही देखे हैं जब किसी पार्टी का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बदल जाने से किसी पार्टी को मिलने वाले वोट प्रतिशत के अनुमानों में 25% इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं, भारत की नज़र से देखें तो इस चुनाव की सबसे अहम बात यह है कि भारत विरोधी नीतियों को आगे बढ़ा रहे जस्टिन ट्रूडो इस चुनाव में पूरी तरह से ‘अछूत’ बन चुके हैं। खुद ट्रूडो की लिबरल पार्टी ही ट्रूडो से भरपूर दूरी बनाने में जुटी हुई है। ट्रूडो के इस्तीफा देने के बाद लिबरल पार्टी की ओर से पीएम बनाए गए मार्क कार्नी चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करेंगे और उनके सामने कंज़र्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे होंगे ।
खालिस्तान समर्थक ताकतों का सफाया तय
कनाडा में होने वाले चुनाव में दूसरा सबसे अहम बदलाव यह है कि खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण देने वाली जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी की सीटें सोमवार को होने वाले चुनावों में घटकर करीब 80% सिमटकर 5 से कम पर आने का अनुमान है। ऐसे में कनाडा में खालिस्तान समर्थक ताकतों का सफाया तय बताया जा रहा है।
बहुमत के लिए चाहिए 172 सीटें
कनाडा की 343 सदस्यीस संसद में बहुमत के लिए 172 सीटों की आवश्यकता होती है। सर्वेक्षणों के अनुसार, कार्नी की लिबरल्स पार्टी को बहुमत मिलने की 80% संभावना और बहुमत के बिना सत्ता में आने की 15% संभावना जताई जा रही है।
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