जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में कार्रवाई करते हुए कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। इसके बाद दोनों देश के बीच हालात बिगड़े और सीमा पर संघर्ष छिड़ गया, जिसके चौथे दिन 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हुई। लेकिन इस सीजफायर को लेकर चार देशों- भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन – ने अलग-अलग बयान दिए, जिससे मामला और उलझ गया। वहीं पाकिस्तान के सीजफायर के तरीके से चीन की नाराजगी की खबरें भी सामने आई हैं।
चीन क्यों नाराज हुआ?
पाकिस्तान हमेशा चीन को 'ऑल वेदर फ्रेंड' कहता है। लेकिन इस बार जब संकट आया, तो पाकिस्तान ने पहले अमेरिका से संपर्क किया, चीन से नहीं। इस बात से बीजिंग बहुत नाराज हुआ। सूत्रों के अनुसार, चीन को बुरा लगा कि पाकिस्तान ने अमेरिका को प्राथमिकता दी और उसे दरकिनार कर दिया।
पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़ा, फिर चीन का बयान आया
जब ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, उसके कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने फिर से ड्रोन भेजे और भारतीय सीमा में घुसपैठ की। इसी दौरान पाकिस्तान ने चीन के साथ बातचीत की एक प्रेस रिलीज जारी की और बताया कि चीन ने पाकिस्तान की 'संयम और जिम्मेदार रवैये की तारीफ की। इसके बाद ही पाकिस्तान ने ड्रोन भेजना बंद किया। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चीन को संतुष्ट करने के लिए पाकिस्तान ने ऐसा कदम उठाया था।
चीन ने खुद को बताया 'शांति दूत'
इसके दो दिन बाद चीन ने बयान जारी किया और दावा किया कि उनके विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बात की और यह बातचीत सीजफायर में अहम रही। चीन की तरफ से कहा गया, 'हम चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान शांति बनाए रखें, बातचीत के जरिए विवाद सुलझाएं और क्षेत्र को स्थिर बनाएं। चीन दोनों देशों से संपर्क बनाए रखेगा'। इसके बाद चीन ने कहा, हमने भारत और पाकिस्तान दोनों से बात की, हमारी कोशिशों से ही टकराव रुका और स्थायी शांति बनी। कुल मिलाकर अमेरिका के बाद चीन ने भी सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश में दिखा।
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