दुनिया के कई देशों में इस वक्त एमपॉक्स के केस मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। ये बीमारी लंबे समय से अफ्रीकी देशों तक फैली हुई थी, लेकिन अब यह दूसरे देशों में फैलने लगी है। एमपॉक्स को लेकर लोगों में चिंता का माहौल है, लेकिन अब एक राहत भरी खबर सामने आई है। वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने एमपॉक्स की पहली MVA-BN वैक्सीन को मंजूरी दी है। यह वैक्सीन बवेरियन नॉर्डिक ने तैयार की है। एक्सपर्ट्स की मानें तो ये वैक्सीन सामने आने के बाद लोगों को एमपॉक्स से बचने में मदद मिलेगी।
वायरस के खिलाफ 76 प्रतिशत प्रभावी टीका
रिपोर्ट है कि स्वीकृत एमपॉक्स के टीका एक खुराक के बाद वायरस के खिलाफ 76 प्रतिशत प्रभावी है और 2 खुराक के बाद 82% प्रभावी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स 121 देशों में फैल चुका है, इस साल 500 लोगों की मौत हो चुकी है।
किन लोगों को लगाई जा सकेगी यह वैक्सीन?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार MVA-BN वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा लोगों को लगाया जा सकेगा और इस वैक्सीन की 2 डोज दी जाएंगी। ये दो डोज 4 हफ्तों के गैप पर दी जा सकती हैं। इस वैक्सीन को 2–8°C पर 8 हफ्ते तक रखा जा सकता है। अभी तक के डाटा से पता चलता है कि MVA-BN वैक्सीन की सिंगल डोज एमपॉक्स से बचाने में 76% इफेक्टिव हो सकती है। जबकि 2 डोज लेने पर यह वैक्सीन 82 फीसदी तक असरदार हो सकती है।
क्या है एमपॉक्स की बीमारी?
एमपॉक्स को एक वायरल इंफेक्शन है, जो मंकीपॉक्स के वायरस से फैलता है. 1970 के दशक से अफ्रीकी देशों में इसके केस आना शुरू हुए थे और यह बीमारी अफ्रीकी महाद्वीप तक ही सीमित था। हालांकि अब यह संक्रमण अन्य देशों में फैलने लगा है. इस वायरस को सबसे पहले बंदरों में पाया गया था, जिसकी वजह से इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था. एमपॉक्स के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। हो सकती है। जबकि 2 डोज लेने पर यह वैक्सीन 82 फीसदी तक असरदार हो सकती है।
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