पोषक तत्वों से भरपूर बथुआ न केवल रसोई की पहचान है, बल्कि सर्दियों में स्वास्थ्य, परंपरा और स्वाद का संतुलित संगम भी है।
बथुआ सर्दियों में आसानी से उपलब्ध होने वाली हरी पत्तेदार सब्ज़ी है, जो अपने उच्च पोषण मूल्य के कारण बेहद लोकप्रिय है। इसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन A, C और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह शरीर को मज़बूत बनाता है, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। नियमित रूप से बथुआ का सेवन करने से खून की कमी जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है।
किसान और ग्रामीण रसोई का अभिन्न हिस्सा
ग्रामीण क्षेत्रों में बथुआ न केवल खेतों में स्वाभाविक रूप से उगता है, बल्कि किसान इसे साग, पराठा और दाल के साथ मिलाकर रोज़मर्रा के भोजन में शामिल करते हैं। इसकी खेती में विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती और यह कम लागत में तैयार हो जाता है। यही कारण है कि यह सब्ज़ी ग्रामीण और अर्ध-शहरी परिवारों की थाली में स्वाभाविक रूप से जगह बना चुकी है।
स्वाद और परंपरा का अनोखा संगम
बथुआ का स्वाद हल्का-सा मिट्टीदार और सुगंधित होता है, जो सर्दियों के भोजन में खास ताज़गी जोड़ देता है। उत्तर भारत में बथुआ का रायता, बथुआ साग और बथुआ-आटे के परांठे अत्यंत पसंद किए जाते हैं। बदलती जीवनशैली के बीच भी यह पारंपरिक सब्ज़ी आज तक लोगों के ज़ायके और सेहत दोनों को संतुलित रखने का काम कर रही है।
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